“नींद नहीं आ रही” रचनाकार – नवदीप चतुर्वेदी!

रात काफी हो गयी पर नींद नहीं आ रही है लेकिन क्या करें सुबह जल्दी भी तो उठना है,बच्चे को स्कूल के लिए तैयार करना है उसका ब्रेकफास्ट, लंच,पति का टिफिन और माँ बाबू जी का नाश्ता,कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला अलार्म के बजने के साथ ही आँख खुल गयी, जल्दी से उठी पूरे घर में झाड़ू पोछा किया,बच्चे को जगाया खुद भी नहा कर उसे भी तैयार किया,जल्दी से उसके पसंद का नाश्ता और लंच तैयार किया, स्कूल बैग भी चेक किया और बस स्टॉप तक छोड़ने चली गयी, पति दिन भर मेहनत कर के आते है तो वो अभी सो ही रहे थे, वापस आकर पति और माँ बाबू जी के लिए चाय तैयार की और पति को जगाने चली गयी,८ बज चुका था पति ने अंगडाई लेते हुए उठने की कोशिश की वो अभी भी चाय का प्याला लिए खड़ी थी,पति ने मुस्कराते हुए प्याला अपने हाथ में ले लिया…..दोनों के पास बस यही ५ मिनट थे साथ होने के,पति ने पूछा बच्चे चले गए क्या?…हाँ आज छुटकी का पेपर है बताते हुए वो रसोई की तरफ बढ़ी,पति का नाश्ता और लंच भी तैयार करना था, आप नहा कर आओ तब तक मैं माँ बाबू जी को नाश्ता करा देती हूँ, साथ में हम लोग नाश्ता कर लेंगे,९.३० हो चुके थे, पति का नाश्ता और टिफिन तैयार था,उसे पूजा करके नाश्ता करना था तो पति को देर हो जाती, उसने पति के साथ एक चाय का प्याला और उठा लिया, पति ने जल्दी नाश्ता किया और निकल गए, वो भी मंदिर में पूजा के लिए पहुँच गयी,पूजा करते करते ११ बज गए, रूम में वापस आई तो देखा कमरा अस्त व्यस्त था, बच्चे और पति के कपडे तह कर के रखे, कमरे को साफ़ किया पता ही नहीं चला कब १२ बज गए,,अरे अभी तो कपडे धुलने भी बाकी है जल्दी से वाशिंग मशीन की तरफ भागती हुई गयी एक नजर घडी पर भी थी की एक घंटे बाद बच्चे स्कूल से आ जायेंगे उनके लिए खाने की भी तैयारी करनी है, तभी डोर बैल बजी, दूर के रिश्ते की नन्द को दरवाजे पर खड़ा देखा, सत्कार के साथ अन्दर बुलाया, अब एक तरफ अतिथि तो एक तरफ कपडे भी थे वाशिंग मशीन में, बच्चो को भी लेने जाना था, पर अतिथि को चाय पानी देने के बाद बच्चो को लेने निकल गयी, बच्चे लौट कर आये उनके कपडे बदले तब तक उनके खाने का इंतजाम हो चुका था साथ ही साथ अतिथि को भी खाने पर बैठा दिया गया ,आज माँ बाबू जी और बच्चे एक साथ लंच करेंगे,सबको खाना खिलाने के बाद बच्चे टी.वी में मस्त हो गए, पर अभी कपडे तो बाकी थे जल्दी से वाशिंग मशीन में कपडे धोकर सूखने डाल दिए, ४ कब बज गए पता ही नहीं चला, अब उसका नाश्ता और खाना सब एक साथ हो चुका था, नाश्ते का वक़्त नहीं मिला और खाना भी ठंडा हो चूका था,खैर खाना खाने के बाद शाम की चाय का टाइम हो चुका था, तो चाय के साथ कुछ स्नैकस भी होने जरूरी थे आखिर अतिथि भी तो आये हुए थे,जल्दी से कुछ स्नैक्स के साथ चाय बन गयी सब ने साथ में चाय पी और थोड़ी बहुत बातो का सिलसिला भी चला,६ बजते ही बच्चो के स्कूल का भी होम वर्क देखना था,बड़ी मुश्किल से बच्चो को बैठाया और होमवर्क करते करते ८ बज गए,अब पति के आने का टाइम था और डिनर की भी तैयारी, पति आये तो स्नैकस और चाय रेडी थी,साथ ही साथ खाने की भी तैयारी हो चुकी थी, बच्चो को भी खाना लगा दिया गया, क्यों की उन्हें सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाना है तो जल्दी सोना भी होगा, ९.३० बजे बच्चे अपने कमरे में चले गए,रिश्तेदार रुके थे रात में साथ में ही सबने खाना खाने का प्लान किया पर थोड़ा लेट डिनर होना था,आये हुए अतिथि की आदत में देर से डिनर करना था तो सब लोग उनके इन्तजार में बैठे रहे, साथ टीवी देखते देखते ११ बजे खाने के लिए सब लोग बैठे बाते होती रही और पता नहीं चला खाना खाते खाते कब १२ बज गए माँ बाबू जी तो सोने चले गए, रिश्तेदार भी थोडा टहलने के लिए लॉन में निकल गए, काम से फुर्सत होते होते फिर से रात के १ बज गए,………नींद नहीं आ रही थी….की अचानक घड़ी  के अलार्म से आँख खुल गयी सुबह के ५ बजे थे। थकान से पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी।

आलेख: नवदीप चतुर्वेदी

Pic Source By- Google


पोर्टल पर इंटरव्यू / विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें।-व्हाट्सप्प  8707805733

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *