“आश्विन महानवरात्रि 2021” आचार्य “काजल अग्रवाल” से जानें इस नवरात्रि माँ दुर्गा की असीम कृपा पाने के लिए क्या करें!

आश्विन शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से नवमी तक मां भगवती के नौ रूपों की पूजा होती है। आश्विन मास में पड़ने वाले इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। मां दुर्गा के भक्तगण कई बार पहला और आखिरी नवरात्रि का व्रत या पूरे नौ दिनों का व्रत रखते हैं और पूरे मन से देवी के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस नवरात्रि की विशेषता है कि हम घरों में कलश स्थापना के साथ मां भगवती की आराधना करते हैं।
नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का और दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व है। कलश स्थापना( Kalash Sthapana) को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान (invitation) है।

कलश स्था‍पना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त: 7 अक्टूबर 2021 को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक। इसके बाद आप घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं – जो कि 11:45 am- 12:32 pm तक रहेगा।

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है। घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र (द्वि-स्वभाव कन्या लग्न) के दौरान है।

इस बार चतुर्थ नवरात्रि का ह्रास हो रहा है, इसलिए नौ दिनों की बजाए नवरात्र 8 दिनों में ही (14 अक्टूबर को) सम्पूर्ण हो जाएंगे। 15 अक्टूबर 2021 को दशहरे के त्योहार देशभर में खूब उल्लास के साथ मनाया जाएगा

नवरात्रों का आरंभ कलश स्थापना के साथ होता है। आइये जानते हैं कि आचार्या काजल अग्रवाल जी के अनुसार कलश स्थापना कैसे करें-

कलश स्थापना विधि (process)
1. नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।
2. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें।
3. फिर मां दुर्गा के नाम से देसी घी का दीपक जलाऐं।
4. अब कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
5. एक तांबे या स्टील के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें।
6. इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं।
7. उसमें एक रुपया, दूब (a type of grass used in worships, सुपारी, इत्र (scent or rose essential oil) और अक्षत (unbroken rice) डालें।
8. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
9. इसके पश्चात एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। नारियल की चोटी आसमान की ओर होनी चाहिए।
10. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
11. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
12. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति (continuos lamp lighting) भी जला सकते हैं।

विशेष – दुर्गा देवी मां का प्रिय पुष्प गुड़हल है। देवी पुराण में मां दुर्गा पर गुड़हल का पुष्प चढ़ाना बहुत लाभदायक है। गुड़हल के पुष्प में मां दुर्गा का विशेष वास माना जाता है। अगर यह न मिले तो लाल गुलाब का फूल भी माता को अर्पित किया जा सकता है।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री नवदुर्गा का प्रमुख और पूर्ण स्वरूप हैं। वह भगवान शिव की पत्नी थीं और पार्वती के नाम से जानी जाती हैं। उन्होंने भगवान हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया जिसके कारण उनका नाम शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री के रूप में रखा गया। मां शैलपुत्री को सफेद चीज पसंद है। इस दिन सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है और अगर यह गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है।
आज के दिन आप माता को देसी घी से बने सूजी के हलवे का भोग लगा सकते हैं।

किसी विशेष पूजा विधि के न पता होने पर/ या समय के अभाव में आप दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच और दुर्गा आरती कर सकते हैं। इससे आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी होगी। नवरात्रि पूजा में मनोकामना को पूरा करने के लिए आचार्या काजल अग्रवाल जी द्वारा बताए गए निम्नलिखित सभी या कुछ उपाय किये जा सकते हैं-

1. भक्तों को ब्रह्मचर्य बनाए रखना चाहिए। नवरात्रि (नौ रातें) आत्मनिरीक्षण, आत्म-साक्षात्कार, आत्म-अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक जागृति के लिए होती हैं। इसलिए meditation / तपस्या करना अत्यंत महत्व रखता है।
2. रोज़ जल्दी उठें, स्नान करें और साफ / धुले कपड़े पहनें।
3. व्रत का पालन ईमानदारी और निष्ठा से करने के लिए संकल्प (प्रतिज्ञा) के बाद प्रार्थना करें। संकल्प माँ दुर्गा को वचन देकर किया जा सकता है कि आप नवरात्रि के सभी नियमों का पालन करेंगे और आत्म कल्याण के लिए उपवास या नियमित पूजा करेंगे।
4. देवी दुर्गा सप्तशती और देवी माँ को समर्पित मंत्र पढ़ें।
5. दिन में केवल एक समय भोजन करके उपवास रखने वालों को सूर्यास्त के बाद ही अपना उपवास तोड़ना चाहिए, जबकि फल / दूध वाले आहार नियमित अंतराल पर खा सकते हैं।
6. सात्विक भोजन ही खाएं। लहसुन, प्याज़ का प्रयोग सम्पूर्ण नवरात्रि में वर्जित है।
7. सेंधा नमक का प्रयोग करें । नियमित रिफाइंड नमक का प्रयोग न करें।
8. जरूरतमंद लोगों तक पहुंचें और दयालु बनें। इन नौ दिनों के दौरान दुर्गा (नव दुर्गा) के नौ अलग-अलग रूपों की प्रार्थना करें।
9. इस वर्ष के नवरात्रि के लिए रंग कोड का पालन करें। आज पहले नवरात्र का शुभ रंग पीला 🌕🍋🍌🌻💛⭐🙂 है।

10. “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै” -यह 11 अक्षरिय मंत्र बेहद प्रभावशाली है। इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें। यह बहुत शक्तिशाली मंत्र है और दुर्गा नवरात्रि में नौ दिनों तक इसका जप करने के बाद भी जप करना जारी रख सकते हैं।
जितना अधिक आप जप करते हैं उतना ही आपको मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के अन्य दिन के रंग कोड के लिए मेरे फेसबुक पेज पर जाकर नवरात्रि कैलेंडर देख सकते हैं।


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