भंडारे में भोजन करें या न करें ? जाने धर्माचार्यों की राय !

अक्सर हम सभी ने देखा है की जब हम तीर्थ स्थानों पर जाते हैं तो वह जगह – जगह  भोजन के भंडारे का आयोजन होता रहता है। अब सवाल ये उठता है की क्या हमे भंडारे का भोजन ग्रहण करना चाहिए या नहीं?

इस प्रश्न के अपने अलग अलग मत हो सकते हैं किसी के मतानुसार भंडारे के भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं तो कई लोग भंडारे के भोजन को प्राप्त करने को उचित नहीं मानते हैं।

कुछ धर्माचार्यों का ये कहना है की किसी भी शुभ कार्य के बाद या मंदिरो में किसी धार्मिक आयोजन के बाद जो भंडारे का आयोजन किया जाता है वो उनके लिए होता है जो नित प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था  करने में असमर्थ  होते हैं, गरीब , लाचार ऐसे व्यक्ति जो किसी न किसी विषम परस्थितिवश भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं उनके लिए भंडारे के भोजन का महत्व होता है। धर्माचार्यों का ऐसा मत है की यदि कोई सक्षम व्यक्ति भंडारे का भोजन ग्रहण करता है तो वो उन लोगों का हक़ मार लेता है जिन्हे वास्तविकता में भोजन की आवश्यकता होती है।

इस कारण ऐसा माना जाता है की यदि हम जाने – अनजाने भंडारे का भोजन प्राप्त करते हैं तो कहीं न कहीं हम किसी के हक़ को मारकर भगवान् में समुख पाप के भागीदारी बनते हैं।

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