नागपंचमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिन्दू धर्म का पर्व है जो सांपों की पूजा और उनकी श्रद्धा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, इस वर्ष यह तिथि 21 अगस्त 2023 दिन सोमवार को है।
नागपंचमी की पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है:
- पूजा सामग्री: नागपंचमी के दिन, संग्रहण में आने वाले सामग्री में दूध, दही, घृत, मिश्रित दाना, फूल, बिल्वपत्र, नाग केसर, जल, दिए आदि शामिल होते हैं।
- पूजा क्रिया:
- पूजा का प्रारंभ काल सुबह समय में होता है।
- सबसे पहले, अपने घर में एक प्रतिमा या चित्र जिसमें सर्प का प्रतिष्ठान है, को सजाकर रखें।
- पूजा की शुरुआत गणेश जी की पूजा से होती है। इसके बाद, सर्प देवता की पूजा करें।
- पूजा में दूध, दही, घृत, मिश्रित दाना, बिल्वपत्र, फूल, नाग केसर, जल, दिए आदि को समर्पित करें।
- मंत्रों की जाप के साथ सांपों की आराधना करें।
- व्रत और नियम:
- नागपंचमी के दिन व्रत रखना भी प्रचलित है। इसका अर्थ है कि आपको उपवास करना और विशेष भोजन नहीं खाना है।
- नागपंचमी के दिन सांपों को किसी प्रकार के नुकसान से बचाने का प्रयास करें, क्योंकि यह दिन सांपों के लिए विशेष माना जाता है।
नागपंचमी पर पूजन में कुछ महत्वपूर्ण मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। निम्नलिखित मंत्र आपकी पूजा के दौरान उपयोगी साबित हो सकते हैं:
- सर्पमन्त्र: अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा । एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम् सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषतः ।।
- नागपंचमी मंत्र: ऊँ नागपतये नमः।
- बिल्वपत्र मंत्र: ऊँ अहम् नागाय वासुकिभ्यां वासुकिभ्यः स्वाहा।
- सर्पदोष निवारण मंत्र: ऊँ ऊँ ऊँ हां हां हुं हुं फट् स्वाहा।
यदि आप नागपंचमी के दिन इन मंत्रों का उच्चारण करते हैं, तो यह आपके पूजन के आदिकाल से ही शुभ हो सकता है। पूजा के समय, ध्यान दें कि आप मंत्रों को सही तरीके से उच्चारित कर रहे हैं और श्रद्धापूर्वक पूजा कर रहे हैं।