अयोध्या में श्री रामलला मंदिर (SHREE RAMLALA MANDIR) की स्थापना हो गयी है जहाँ देश विदेश से लाखों भक्त श्री रामलला के दर्शन करने को आ रहे हैं। अयोध्या के अलावा भी एक रामलला का मंदिर है जिसका इतिहास लगभग 150 वर्षों से भी अधिक पुराना है। ये प्राचीन मंदिर उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले में रावतपुर गाँव में है।
अंशिका मीडिया की उप- संपादक सलोनी तिवारी ने श्री रामलला मंदिर के पुजारी श्री सुशील मिश्रा से बात चीत के दौरान इस मंदिर के इतिहास से जुड़ी हुई बातों की जानकारी ली।
मंदिर के पुजारी श्री सुशील मिश्रा जी ने बताया की प्राचीन मंदिर का इतिहास 150 वर्षों से अधिक पुराना है। यहाँ पर जो श्री रामलला विराजमान हैं उन्हें यहाँ की महारानी मध्यप्रदेश के रीवा जिले से अपने मायके से साथ लेकर आयीं थी। उन्होंने ही रामलला मंदिर की स्थापना कराई थी।
रामलला मंदिर के अंदर प्रभु श्रीराम, माता सीता,श्री लक्षमण जी एवं श्री हनुमान जी विराजमान हैं उन्ही के बीच में प्रभु रामलला जी अपने पैर के अंगूठे को चूसते हुए विराजमान है। दाएं ओर श्री लक्ष्मीनारायण जी विराजमान हैं।
प्रभु श्री रामलला इस मंदिर से वर्ष में 5 बार भ्रमण के लिए विशाल शोभा यात्रा के रूप में निकलते हैं। एक बार होली पर्व पर, दूसरी बार होली की परेवा को, तीसरी बार होली के बाद पड़ने वाले प्रथम रविवार को, चौथी बार दशहरा वाले दिन एवं पांचवी बार जब प्रभु जग्गनाथ जी की यात्रा निकलती है।
पुजारी जी ने बताया की पूरे मंदिर का निर्माण मिश्रित दालों से किया गया हैं इसमें कहीं भी सरिया आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर के अंदर एक सुरंग है जो 3 किलोमीटर पर श्री भूतेश्वर मंदिर पर निकलती है। उसके पीछे की कथा ये है की महारानी सुरंग के रास्ते शिव मंदिर जाया करती थीं और इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इसका निर्माण एक ही रात में हुआ था। महरानी सुरंग के रास्ते ही गंगा स्नान को भी जाया करती थीं। मंदिर में ही ऊपर महारानी की रसोई घर बना है। मंदिर के पीछे एक तालाब भी है जिसका नाम राम सरोवर है। मंदिर के बारे में मान्यता है की यहाँ पर सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
अयोध्या रामलला मंदिर के स्थापना के बाद ये दूसरा रामलला मंदिर हो गया है। आप सभी भी इस सिद्ध रामलला मंदिर में प्रभु श्री रामलला के दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर परिसर में श्री हनुमान जी का भी मंदिर हैं।