सलोनी तिवारी: वीमेन इम्पॉवरमेंट की सीरीज में आज हम आपका परिचय कराते हैं “शालिनी मिश्रा” जी से जो की “स्वीट एंजेल स्कूल” (Sweet Angels International School) की डायरेक्टर हैं।
सलोनी तिवारी : शालिनी जी अपने बारे में कुछ बताइये ?
शालिनी मिश्रा : मैं वर्तमान में स्वीट एंजेल स्कूल की प्रिंसिपल एवं एकेडमिक डायरेक्टर हूँ।
सलोनी तिवारी : इस सफर की शुरुआत कहाँ से और कैसे शुरू की थी आपने?
शालिनी मिश्रा : कानपुर में लोग मुझे बेस्ट डांसर के रूप में जानते थे। मैं मीडिया में भी काफी एक्टिव थी। मैं ड्रामा, थिएटर, टेलीफिल्म्स में भी अपना काफी समय बिता चुकी हूँ पर अब इन सब से काफी दूरी हो चुकी है। लेकिन वो सभी स्किल्स (SKILLS) आज भी मेरे एजुकेशन के प्रोफेशन में काम आती हैं।
सलोनी तिवारी : आप ने किस थिएटर में काम किया है ?
शालिनी मिश्रा : कला पुंज नाम की एक संस्था थी। श्री सुधीर जी उसमे डायरेक्टर थे। सुशील चक जी, परवीन अरोरा जी, सत्यव्रत चक्रवर्ती जी, अयूब तैयब अंसारी जी इन सब से मैंने कला और संस्कृति में बहुत कुछ सीखा है। उर्दू के अल्फाजों को मैंने बहुत बारीकी से सीखा। आकाशवाणी कानपुर में भी मेरा सलेक्शन हो गया था पर पारिवारिक कारणों से उसे ज्वाइन नहीं किया। मैं पहले डांस परफॉरमेंस में भी बहुत रूचि रखती थी और स्टेज पर परफॉर्म भी करती थी। कत्थक में मैंने अलंकार किया लेकिन स्लिप डिस्क की समस्या के चलते मुझे इन सब एक्टिविटीज को रोकना पड़ा। इस स्किल्स को मैंने अपनी एजुकेशन करियर में इस्तेमाल करने का फैसला किया।
सलोनी तिवारी : आप स्कूल में बच्चों को कुछ अलग अंदाज में पढ़ाती हैं उस अंदाज के बारे में कुछ बताइये ?
शालिनी मिश्रा : इसका क्रेडिट में न्यू लाइट कोचिंग के डॉ एस पी सिंह सर को देना चाहती हूँ। मेरे ग्रेजुएशन के टाइम पी पी एन कॉलेज में मेरे प्रोफेशर हुआ करते थे। उनसे मैंने ये सीखा की कैसे स्टोरीज के माध्यम से साइंस के कांसेप्ट को बता सकते हैं। तो मैं भी अपने स्कूल के बच्चों को स्टोरी या गाने के माध्यम से पढ़ाती हूँ जिससे वो इंटरेस्ट लेकर एकेडेमिक सब्जेक्ट अच्छे से सीख जाते हैं।
सलोनी तिवारी : प्रोफेशनल लाइफ एवं पर्सनल लाइफ को मैनेज करने में फैमिली का सपोर्ट कैसा रहता है ?
शालिनी मिश्रा : मेरे हस्बैंड का और फैमिली का सपोर्ट पूरी तरह है और आज मैं इसी वजह से अपने प्रोफेशन में आगे बढ़ पायी हूँ। मैंने 15 वर्षों तक आर्मी आर्गेनाइजेशन के लिए काम किया। आर्मी पब्लिक स्कूल में प्राइमरी टीचर से मैंने अपना करियर शुरू किया। जब मुझे FDRC ट्रेनिंग के लिए जाना होता था तब मेरी बेटी छोटी थी। तब मेरे हस्बैंड ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। जब मेरी बेटी बड़ी हुई तो बेटी ने भी सपोर्ट किया। इसी कारण मैं अपने करियर में सफल हो पायी।
सलोनी तिवारी :आप अच्छी डांसर थी तो क्या अब आप अपने स्कूल के बच्चों को डांस सिखाती हैं ?
शालिनी मिश्रा : मैं डांस के माध्यम से बच्चों में अध्यात्म की भावना को जगाने का प्रयास करती हूँ। बच्चों को श्लोक पर डांस सिखाती हूँ। मैंने डांस को ईश्वर की आराधना का माध्यम समझा है और वही संस्कार और संस्कृति मैं अपने स्कूल के बच्चों को सिखाती हूँ। डांस के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति भी की जाती है। मैं डांस को एजुकेशन का ही एक पार्ट समझती हूँ।
सलोनी तिवारी : महिला शिक्षा के बारे में क्या कहना है ?
शालिनी मिश्रा : एक शिक्षित महिला ही एक शिक्षित समाज को जन्म देती है। देश को भी मजबूत बनाने में महिला शिक्षा बहुत जरूरी है। मेरे स्कूल में भी कभी कोई बच्ची ऐसी आयी जो फाइनेंसियल रूप से कमजोर हैं और पढ़ना चाहती हैं तो मैंने हमेशा उसकी पढाई को रुकने नहीं दिया पूरा सहयोग रहा की बच्चियां पढ़ सकें।
सलोनी तिवारी : आपके दो स्कूल हैं उनको कैसे एक साथ मैनेज कर पाती हैं आप ?
शालिनी मिश्रा : दोनों स्कूल के ही स्लेबस एक ही पैटर्न पर काम करते हैं। दोनों स्कूल की मीटिंग ऑनलाइन होती हैं। दोनों ही स्कूल में मेरी जहाँ जरूरत होती है उसी तरह दोनों स्कूल को समय देती हूँ।
सलोनी तिवारी : नारी शक्ति के बारे में आप क्या कहेंगी ?
शालिनी मिश्रा : नारी शक्ति के लिए मैंने एक ड्रामा किया था जिसका नाम था “ओ भैरवी”, प्रोफेसर यशपाल की कहानी पर आधारित इस ड्रामा का मंचन उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य अकादमी में किया था। स्त्री को सशक्त बनाने में उसके परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है। महिला जरूरत पड़ने पर परिवार की रक्षा के लिए दुर्गा और चंडी का रूप भी धारण कर सकती है।
अंशिका मीडिया की टीम “शालिनी मिश्रा” जी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं देती है।