सलोनी तिवारी : धार्मिक यात्रा के इस एपिसोड में आज चित्रकूट के कामदगिरि मंदिर के दर्शन कराते हैं। ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण सहित वनवास के लिए गए तो उन्होंने अपने 14 वर्षों के वनवास में लगभग साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट में व्यतीत किए। इस दौरान चित्रकूट साधु-संतों और ऋषि-मुनियों के पूजा पाठ एवं निवास के लिए सर्वोत्तम स्थान बन गया। इसके बाद भगवान राम ने चित्रकूट छोड़ने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय से चित्रकूट पर्वत दुःखी हो गया और भगवान राम से कहा कि जब तक वो वनवास के दौरान यहाँ रहे, तब तक यह भूमि अत्यंत पवित्र मानी जाती रही लेकिन उनके जाने के बाद इस भूमि को कौन पूछेगा? इस पर भगवान राम ने पर्वत को वरदान दिया और कहा, “अब आप कामद हो जाएँगे और जो भी आपकी परिक्रमा करेगा उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी हो जाएँगी और हमारी कृपा भी उस पर बनी रहेगी।“ इसी कारण इसे पर्वत कामदगिरि कहा जाने लगा और वहाँ विराजमान हुए कामतानाथ भगवान राम के ही स्वरूप हैं। अधिक जानकारी के लिए पूरा वीडियो अवश्य देखें
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