डेंगू की चपेट मे देश के कई राज्य,रखें ख्याल नहीं तो हो सकते हैं आप भी डेंगू का शिकार

नई दिल्ली-देश के कई राज्य मच्छर जनित रोग डेंगू की चपेट में हैं। डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द के साथ मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते होने जैसी समस्या होने लगती है ।डेंगू बुखार के लक्षणों की समय रहते पहचान और इलाज जरूरी है जिससे इसके गंभीर जोखिमों को कम किया जा सके।

डेंगू का खतरा:- स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है डेंगू के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। डेंगू के कारण आंतरिक रक्तस्राव होने का भी खतरा रहता है। जिसे जानलेवा दुष्प्रभावों वाला माना जाता है। डेंगू के अधिकतर रोगियों में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट कम होने लग जाता है। इस स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है। प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार से कम होने को गंभीर स्थिति वाला माना जाता है।
इसमें इमेरजेंसी चिकित्सा और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी हो सकती है।

क्या होता है ब्लड प्लेटलेट्स-
मायोक्लिनिक की रिपोर्ट के मुताबिक प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स, हमारे खून में मौजूद छोटी कोशिकाओं के टुकड़े होते हैं जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करते हैं। अगर ये न हों तो खून जमेगा नहीं और अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा हो सकता है। प्लेटलेट्स हमारे बोन मैरो में बनते हैं।
किसी तरह की चोट लगने पर, यही प्लेटलेट्स घाव के स्थान पर इकट्ठा होकर प्लग की तरह काम करते हैं और थक्का बनाने की क्रिया में रक्त वाहिकाओं को सील कर देते हैं, जिससे रक्त आपके शरीर से बाहर जाने से रुक जाता है। डेंगू के मरीजों में इसी ब्लड प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने लग जाती है।

कितनी प्लेटलेट्स काउंट हैं महत्वपूर्ण:- एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट काउंट 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर ब्लड तक होती है। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट कम होने की समस्या अधिक होती है। प्लेटलेट्स की मात्रा 150,000 से कम होना चिंता का विषय माना जाता है। 50000 तक की मात्रा को गंभीर समस्याओं का संकेत माना जाता है। जिसमें आंतरिक रक्तस्राव होने का खतरा हो सकता है। यही कारण है कि डेंगू के गंभीर रोगियों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
अस्वीकरण:- आंशिक मीडिया की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इस लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को आंशिक मीडिया के द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। आंशिक मीडिया इस लेख में दी गयी जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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