नई दिल्ली – शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए पौष्टिक आहार के साथ नियमित रूप से व्यायाम करना भी बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर सिर्फ नियमित रूप से 30 मिनट व्यायाम की आदत बना ली जाए तो इससे कई प्रकार की क्रोनिक और मेटाबॉलिज्म से संबंधित बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है। योग-व्यायाम और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के कई सारे लाभ हैं।
हालांकि ऑफिस जाने वाले लोग या घरेलू महिलाओं में सेंडेंटरी लाइफस्टाइल की समस्या काफी तेजी से बढ़ती देखी जा रही है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल यानी कि निष्क्रिय जीवनशैली होना, जैसे एक ही स्थान पर लंबे समय तक बैठे रहने, दिन का अधिकतर समय लेटे-लेटे बिताने जैसी आदतें गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं।
आज हम बात करेंगे कि ये आदतें शरीर को किस प्रकार से हानि पहुंचाती हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वयस्कों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को अपनी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यायाम का चयन करके नियमित इसका अभ्यास करना चाहिए। सेंडेंटरी लाइफस्टाइल से बचना कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
व्यायाम न करने के कई तरह के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं, जिनमें वजन बढ़ना, हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज, मांसपेशियों की कमजोरी और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या शामिल है। आइए जानते हैं कि सिर्फ कुछ महीने ही व्यायाम न करने का स्वास्थ्य पर किस तरह से असर हो सकता है?
कुछ ही समय व्यायाम न करने से वजन के साथ मोटापा कर कतरा- शारीरिक निष्क्रियता का सबसे पहला असर आपके वजन पर होता है। व्यायाम न करने से कैलोरी बर्न नहीं होने पाती है और इस दौरान भोजन से मिल रही अतिरिक्त कैलोरी वसा के रूप में जमा होने लगती है। इसके प्रभाव से वजन बढ़ सकता है और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। एक महीने भी शारीरिक निष्क्रियता या व्यायाम की कमी के कारण आपका वजन बढ़ सकता है।
वजन बढ़ने कई तरह की हो सकती हैं बीमारियां– स्वास्थ्य विशेषज्ञ वजन बढ़ने को हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज सहित कई तरह की क्रोनिक बीमारियों का कारण मानते हैं।
ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा-स्थायी जीवनशैली के कारण शरीर में रक्त का संचरण बिगड़ने लगता है। इसके अलावा रक्तचाप और बैड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ने लग जाता है जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। व्यायाम की कमी के कारण होने वाले ये परिवर्तन एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना) का भी खतरा बढ़ा देते हैं जिससे दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम भी हो सकता है।
इसी वजह से नियमित व्यायाम करने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वालों में ब्लड प्रेशर और हार्ट की बीमारियों का जोखिम कम रहता है।
कमजोर हो जाति है इम्युनिटी-नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देकर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करती है। अगर आप सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के शिकार हैं तो इसका असर इम्युनिटी सिस्टम पर भी दिखने लगता है। प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी के कारण शरीर संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। खून के संचार की समस्या प्रतिरक्षा प्रणाली को बिगाड़ने के साथ कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारक है।
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