हिन्दू धर्म में विनायक चतुर्थी का व्रत सावन माह में श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत करने और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने की विशेष परंपरा है। जिस तरह चतुर्दशी की मासिक तिथि भगवान शिव को समर्पित है ठीक उसी प्रकार चतुर्थी की मासिक तिथि भी भगवान शिव के पुत्र यानी कि शभगवान गणेश को समर्पित है। सावन विनायक चतुर्थी के व्रत के दिन शिव योग और रवि योग बन रहा है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र भी है। ऐसा माना जाता है कि विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान चंद्रमा को पूर्णतया देखना वर्जित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्थी व्रत करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। यह सावन की दूसरी चतुर्थी होगी। वहीं, पहली चतुर्थी सावन कृष्ण पक्ष की थी। आइए जानते हैं जानते हैं सावन में विनायक चतुर्थी किस दिन होगी। कौन शुभ योग बनेंगे ।
7 अगस्त को मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी-पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ-7 अगस्त, बुधवार, रात्रि 10: 05 मिनट से लेकर 8 अगस्त, गुरुवार, रात 12 बजकर 36 मिनट तक है।
आपको बता दें कि उदयातिथि के अनुसार, सावन की विनायक चतुर्थी 8 अगस्त को है। इसी दिन चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
विनायक चतुर्थी का मुहूर्त-
विनायक चतुर्थी के दिन पूजा का मुहूर्त – सुबह 11बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक है।
सावन की विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के लिए 2 घंटे 40 मिनट का शुभ मुहूर्त है।
विनायक चतुर्थी मे बन रहा शिवयोग-
सावन में विनायक चतुर्थी के दिन शिव योग और रवि योग बनता है। विनायक चतुर्थी व्रत के दिन दोपहर से 12 बजकर 39 मिनट तक शिव योग है, उसके बाद सिद्ध योग बनता है। योगाभ्यास के लिए शिव योग अच्छा माना जाता है। विनायक चतुर्थी के व्रत वाले दिन रवि योग भी बनता है। रवि योग शाम 5 बजकर 47 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
विनायक चतुर्थी पर न करें चन्द्रमा के दर्शन- 8 अगस्त को विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा का उदय शाम 8 बजकर 59 मिनट पर होगा। वहीं, चंद्रमा का अस्त रात 9 बजकर 21 मिनट पर होगा। विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने की मनाही है, क्योंकि इस दिन देखने से झूठा कलंक लगता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है।
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