नई दिल्ली।सावन का तीसरा सोमवार का व्रत आज यानी 5 अगस्त को रखा जा रहा है। आज का दिन देवों के देव महादेव को अति प्रिय है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही सभी बिगड़े कार्य भी बनने लगते हैं। ऐसे में महादेव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक व अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती है। साथ ही धन लाभ के योग भी बनते हैं।
आज सावन के तीसरे सोमवार पर व्यतीपात योग सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है, उसके बाद से वरीयान प्रारंभ हो जाएगा। वहीं इस दिन उपवास रखने का भी विशेष विधान है। मान्यता यह भी है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। इस दौरान भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है, इसलिए पूजा को हमेशा संपूर्ण विधि विधान के साथ करना चाहिए। इसी के साथ आइए भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि, आरती और कुछ खास मंत्रों के बारे में जान लेते हैं।
पूजा की विधि-
सावन के तीसरे सोमवार पर सुबह उठकर स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल पर जाकर सबसे पहले विधिपूर्वक भगवान शिव का अभिषेक करें। फिर उन्हें फल, पुष्प, धूप, बेलपत्र, धतूरा,अक्षत आदि चीजें अर्पित करते जाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं।
अर्पित कर करें आरती-सभी चीजों को अर्पित करने के बाद अंत में शिव जी की आरती करें। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर महादेव से सुख-समृद्धि की कामना करें। इस दौरान दान करना अधिक शुभ होता है। आप अपनी श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को दान करें।
शहद चढ़ाने का है विशेष महत्व-
सावन के तीसरे सोमवार को शिवलिंग पर शहद चढ़ाना चाहिए। इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति के योग बनते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव को शुद्ध घी, गंगाजल, धतूरा, चंदन और फल जरूर अर्पित करना चाहिए।
करें ये उपाय होंगे लाभ –
सावन के तीसरे सोमवार पर गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें। माना जाता है कि इससे सफलता के योग का निर्माण होता है।
सावन के तीसरे सोमवार पर महादेव को केसर अर्पित करें। ऐसा करने से नौकरी-व्यापार में लाभ की संभावना बढ़ जाती है।
इस दौरान जरूरतमंदों को भोजन कराने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
भगवान शिव की आरती –
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ऊँ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ऊँ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ऊँ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ऊँ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ऊँ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ऊँ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ऊँ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ऊँ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा…
भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र
ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी
स्वीकारण– ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।