नई दिल्ली। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। कहते हैं रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से मानी गई है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक रुद्राक्ष पाए जाते हैं। मान्यता है कि इसे धारण करने से संकटों का नाश होता है व जातक को ग्रहों की अशुभता से भी मुक्ति मिलती है। मगर रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए आज हम इस लेख में जानते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के विशेष नियम- रुद्राक्ष अपने आप में बेहद पवित्र होता है इसलिए इसे कभी अशुद्ध हाथों से न छुएं और स्नान करने के बाद शुद्ध होकर ही इसे धारण करें।
रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए इसे हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें।
धारण करते वक़्त करें ये जाप- रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करना चाहिए, इससे मन को शांति मिलती है।
माला में रुद्राक्ष क्यो संख्या हो विषम– यदि आप रुद्राक्ष की माला बनवा रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि विषम संख्या में ही रुद्राक्ष धारण करें।
स्वयं का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी भी किसी दूसरे को धारण करने के लिए नहीं देना चाहिए, साथ ही किसी का पहले से धारण किया हुआ रुद्राक्ष खुद नहीं पहनना चाहिए।
माला 27 रुद्राक्ष से नहीं होनी चाहिए कम-इस बात का ध्यान रखें कि माला 27 मनकों से कम की नहीं होनी चाहिए।
माला धारण करने से पहले करें इन चीजों का त्याग-
रुद्राक्ष धारण करने वालों को मांस, मदिरा या अन्य किसी भी प्रकार से नशीली चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
वैसे तो रुद्राक्ष को केवल धागे में माला की तरह पिरोकर भी धारण किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा आप चांदी या सोने में जड़वाकर भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
अस्वीकरण: ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।