रक्षाबंधन पर है अगर सूतक काल तो रक्षाबंधन कैसे मनाएं, जानें शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है और बड़ा भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। अग्नि देव, माता लक्ष्मी,श्री गणेश और श्री विष्णु के प्रतीक के रूप में बड़ी बहन और छोटे भाई को अक्षत, कुमकुम चंदन और दीपक के आशीर्वाद के बिना रक्षाबंधन से सजी थाली अधूरी मानी जाती है। लेकिन इन सबके साथ, कभी-कभी ऐसा होता है कि यदि रक्षाबंधन के शुभ दिन पर कोई बच्चा जन्म लेता है या किसी की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे में राखी का त्योहार अशुद्ध हो जाता है और लोग त्योहार नहीं मना पाते। इस स्थिति को सूतक कहा जाता हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इसके भी समाधान और नियम हैं। आज हम उन नियमों के बारे में आपको बताएंगे।

सूतक होता क्या है-

जब किसी परिवार या घर में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उस घर में सूतक लगा हुआ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार सूतक की अवधि 10 दिन होती है। ऐसे में इन 10 दिनों के दौरान परिवार का कोई भी सदस्य कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकता है। इसके अलावा मां को कोई भी काम करने से मना किया जाता है।

सूतक का समय कितना होता है- गरुड़ पुराण के अनुसार सूतक की अवधि वर्ण के हिसाब से अलग-अलग बताई गई है। उदाहरण के लिए, ब्राह्मणों के लिए सूतक की अवधि 10 दिन, क्षत्रियों के लिए 15 दिन, वैश्यों के लिए 20 दिन और शूद्रों के लिए 30 दिन है। हालाँकि, अब बच्चे का जन्म 12 दिन का सूतक माना जाता है।

सूतक काल में कैसे मनाएँ रक्षाबंधन- शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के 12 दिन के भीतर यदि परिवार में किसी का जन्म हो जाए तो सूतक लग जाता है। दरअसल, सूतक काल के दौरान कोई भी पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया जाता हैं। हालांकि आप कुछ नियमों का पालन कर सूतक काल के दौरान राखी का त्योहार मना सकते है।

बांध सकते हैं राखी लेकिन ये कर नहीं होंगे- यदि परिवार या घर में सूतक है तो बहनें भाई को राखी तो बांध सकती हैं लेकिन कुमकुम, चंदन का तिलक या आरती जैसे शुभ कार्य नहीं कर सकतीं।

सूतक में नहु छू सकते पैर-

सूतक के दौरान पैर नहीं छुए जाते इसलिए राखी बांधने के बाद भाई या बहन को पैर नहीं छूने चाहिए बल्कि झुककर आशीर्वाद लेना चाहिए।

न करें जल्दबाजी में मंत्र का जाप- जब बहनें राखी बांधते समय मंत्रों का जाप करें तो उन्हें सिर्फ इस बात का ध्यान रखना चाहिए। मंत्र का जाप जल्दी-जल्दी न करें, यह सूतक के नियमों के विरुद्ध है।

रक्षाबंधन तिथि- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ= 19 अगस्त, सोमवार सुबह 3 बजकर 4 मिनट है, समाप्त सोमवार,रात्रि 11बजकर 55 मिनट तक है।

भद्राकाल का समय-

इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा नक्षत्र सुबह 5 बजकर 53 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर रात्रि 09 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

अस्वीकरण– ये लेख मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।

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