नई दिल्ली। दुनिया के तमाम देश आजकल मंकीपॉक्स नामक संक्रमण से झूझ रहे हैं। अफ्रीका और यूरोप के बाद अब ये वायरस एशियाई देशों में भी तेजी से फैलने लगा है। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है।
WHO ने सावधानी बरतने की दी सलाह– विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने सभी देशों को इस बढ़ते संक्रमण को लेकर लगातार सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।
लापरवाही बन सकती है जान की दुश्मन- अध्ययन के मुताबिक मंकीपॉक्स अति संक्रामक और जानलेवा संक्रमण का कारण बन सकता है, थोड़ी सी भी लापरवाही इस संक्रमण के व्यापक प्रसार का कारण बन सकती है।
कई देशों में फैला संक्रमण-
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान-स्वीडन में भी इस संक्रामक रोग के मामले दर्ज किए गए हैं। पड़ोसी देश में संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जाने के बाद भारत भी चौकन्ना हो गया है। बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया और सतर्कता बर्तने की हिदायत दी। राहत की बात ये हा भारत में अभी तक इस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।
जानलेवा है मंकीपोक्स-
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं जिस प्रकार से इस वायरस की प्रकृति रही है, इसके तेजी से फैलने का जोखिम अधिक होता है।
मंकीपॉक्स, कोरोनावायरस से भी खतरनाक हो सकता है। यहां ध्यान देना जरूरी है कि मंकीपॉक्स पिछले दो सालों में कोविड-19 के बाद सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाला रोग रहा है।
क्या ये कोविड से भी है खतरनाक- ये दोनों वायरल संक्रमण के बारे में तुलनात्मक रूप से नजर डालते हैं।
कोरोनावायरस और कोविड-19
अध्ययनों से पता चलता है कि सार्स-सीओवी-2 (कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस) और एमपॉक्स वायरस कई मामलों में बहुत अलग हैं। वैसे तो एमपॉक्स और कोविड-19 दोनों ही जूनोटिक रोग हैं, जिसका अर्थ है कि येजानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं। माना जाता है कि सार्स-सीओवी-2 चमगादड़ों से फैला है, जबकि मंकीपॉक्स सबसे पहले बंदरों में देखा गया था।
संक्रमण के प्रसार के जोखिम और इसके लक्षण कई मामले में दोनों संक्रामक रोगों को अलग करते हैं।
डाक्टरों का क्या है कहना– मंकीपॉक्स को कोविड-19 की तुलना में कम खतरनाक बनाते हैं। पहला मंकीपॉक्स आसानी से नहीं फैलता और संक्रमित लोगों की पहचान करना आसान है।
दो टीके हैं जो मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी पाए गए हैं। वहीं कोविड-19 के विपरीत, यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने के लिए निकट संपर्क आवश्यक है। संक्रमित व्यक्तियों को अलग करना और प्रसार को रोकना भी मंकीपॉक्स के मामले में आसान है।
संक्रामक रोगों के प्रसार का खतरा- डॉ. एडवर्ड्स बताते हैं मंकीपॉक्स का संक्रमण प्रभावित व्यक्ति के निकट संपर्क से होता है। शारीरिक संपर्क या शरीर के तरल पदार्थ या घावों के साथ सीधे संपर्क में आने से एमपॉक्स का संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है। वैसे तो यह खांसने-छींकने से निकलने वाली बूंदों या दूषित बिस्तर-कपड़ों के संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है। हालांकि कोविड के मामले में प्रसार को अधिक आसान माना जाता रहा है। यह कोविड-19 की तरह हवा के माध्यम से नहीं फैलता है। हालांकि मंकीपॉक्स का संक्रमण अधिक घातक जरूर हो सकता है।
अस्वीकरण- यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट से सम्बंधित किसी भी दावे ke लिए आंशिक मीडिया जिम्मेदार नहीं है।