नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन एक पवित्र त्योहार का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसा माना जाता है जब भी भद्रा होती है तो इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है। राखी हमेशा भद्राकाल के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है।
रक्षाबंधन पर भद्रा और पंचक में राखी बांधने से होता है अशुभ- इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा और पंचक का साया रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल और पंचक में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। जिस तरह से भद्रा में राखी बांधना वर्जित होता है उसी तरह से पंचक में भी भाई की कलाई पर राखी बांधने से बचना चाहिए।
भद्रकाल- धर्मग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को अशुभ माना जाता है। भद्रा काल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार चंद्रमा की राशि से भद्रा का निवास का निर्धारण किया जाता है।
गणना के अनुसार चंद्रमा जब कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि या मीन राशि में होता है। तब भद्रा का वास पृथ्वी में निवास करके मनुष्यों को नुकसान पहुंचाती है। वहीं मेष राशि, वृष राशि, मिथुन राशि और वृश्चिक राशि में जब चंद्रमा रहता है तब भद्रा स्वर्गलोक में रहती है एवं देवताओं के कार्यों में विघ्न डालती है। जब चंद्रमा कन्या राशि, तुला राशि, धनु राशि या मकर राशि में होता है तो भद्रा का वास पाताल लोक में माना गया है। भद्रा जिस लोक में रहती है वहीं प्रभावी रहती है।
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी- शास्त्रों के अनुसार जब भी रक्षाबंधन पर भद्रा काल रहता है तो उस समय तक राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में भद्राकाल के दौरान राखी बांधना वर्जित होता है। भद्रा के शुरू होने से पहले या फिर भद्रा के खत्म होने के बाद ही राखी बांधी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य और पत्नी छाया की पुत्री व भगवान शनि की बहन हैं। भद्रा के जन्म लेते ही भद्रा बहुत ही उग्र स्वभाव की थीं। भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि रावण की बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी जिस कारण से रावण का वध प्रभु राम के हाथों से हुआ था।
क्या है रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सही मुहूर्त
रक्षाबंधन पर राखी हमेशा भद्रा रहित काल में ही बांधी जाती है। इस बार दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक भद्राकाल रहेगी, ऐसे में राखी बांधने का सही समय दोपहर के बाद ही है। बहनें अपने भाईयों को दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से लेकर रात के 9 बजे तक राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन पर राशि अनुसार दें बहन को दें उपहार-
मेष राशि– इस राशि के स्वामी ग्रह मंगल होते हैं। ऐसे में मंगल का प्रभाव इस राशि पर सबसे ज्यादा रहता है। अगर आपकी बहन की राशि मेष है तो उसे कोई धातु से बनी चीजों को उपहार में दें।
वृषभ राशि– वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्रदेव होते हैं ऐसे में जिन भाईयों की बहन की राशि वृषभ है वे उन्हे उपहार में शुक्र ग्रह से संबंधित चीजों को दें। जैसे परफ्यूम या कोई चमक-धमक वाली चीज।
मिथुन राशि– इस राशि के स्वामी ग्रह बुधदेव होते हैं ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि मिथुन है तो उन्हें पेन, काफी-किताब या हरे रंग का कोई उपहार दें।
कर्क राशि– कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्र देव होते हैं। ऐसे में अगर जिन बहनों की राशि कर्क राशि है उन्हें चांदी से बनी चीजें देनी चाहिए।
सिंह राशि – इस राशि के स्वामी ग्रह सूर्यदेव होते हैं। ऐसे में आप अपनी बहन को सोने से बने आभूषण उपहार में दे सकते हैं।
कन्या राशि– इस राशि के स्वामी ग्रह बुधदेव होते हैं। ऐसे में अपनी बहन को आपक हरे रंग की कोई खूबसूरत ड्रेस दे सकते हैं।
तुला राशि- जिन बहनों की राशि तुला होती है उन्हें उपहार में कोई परफ्यूम दे सकते हैं।
वृश्चिक राशि– जिन बहनों की राशि वृश्चिक है उनके भाई उन्हें लाल रंग का कोई उपहार दें।
धनु और मीन राशि– इन दोनों ही राशि के स्वामी ग्रह देवगुरु बृहस्पति होते हैं। ऐसे में बहनों को सोने के आभूषण या किताबें उपहार में दे सकते हैं।
मकर और कुंभ राशि– मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव होते हैं। ऐसे में आप अपनी बहनों को लैपटॉप या फिर कोई वाहन उपहार में दे सकते हैं।
कल रक्षाबंधन का त्योहार है और कल ही सावन माह की पूर्णिमा तिथि भी पड़ रही है। साथ ही सावन का सोमवार होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 03 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। श्रावण माह की पूर्णिमा का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन कुछ उपाय करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है।
1- रुद्राभिषेक करें
2- भगवान शिव और लक्ष्मी-नारायण की उपासना करें
3- दक्षिणावर्ती शंख का पूजन करें
4- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
5- चंद्रमा को अर्घ्य दें और पूजा करें
6- दान जरूर करें
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त
कल श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। आइए जानते हैं क्या राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
राखी बांधने का मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से लेकर रात्रि 09 बजकर 07 मिनट तक
रक्षाबंधन अपराह्न मुहूर्त– 13:42 से 16:19 मिनट तक
रक्षाबंधन प्रदोष मुहूर्त – 18:56 मिनट से 21:07 मिनट तक
रक्षाबंधन पर शुभ योग –
इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन एक साथ कई तरह के शुभ योग बन रहे हैं। रक्षाबंधन के दिन रवि और सर्वार्थ सिद्ध योग का संयोग रहेगा। इसके अलावा इस दिन सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में ही गोचर करेंगे। वहीं शनिदेव जो कि न्याय और कर्म के देवता हैं अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश नाम के राजयोग बनाए हुए हैं। इसके अलाव बुध और शुक्र भी सिंह राशि में होकर बुधादित्य और शुक्रादित्य राजयोग बना रहे हैं।
रक्षाबंधन पर क्या रहेगा भद्राकाल का समय-
भद्रा काल की शुरुआत- 19 अगस्त सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर
भद्रा काल का अंत– 19 अगस्त दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर
भद्रा काल पूंछ- सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट पर
- भद्रा काल मुख– सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक है।