सावन माह की पूर्णिमा का है विशेष महत्व जानें कब है शुभ मुहूर्त..

नई दिल्ली। सावन माह की पूर्णिमा 19 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन सावन का सोमवार होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, यह तिथि रात्रि 11 बजकर 55 मिनट तक मान्य रहेगी। सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है। इस समय आप चंद्रदेव की पूजा कर सकते हैं। श्रावण माह की पूर्णिमा का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन कुछ उपाय करने से भगवान शिव की कृपा बरसती रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
रुद्राभिषेक करना है विशेष फलदाई– इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन सोमवार भी है। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से अभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप किया जाता है। रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
उपवास रखने का विशेष महत्व- श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन व्रत रखने की विशेष मान्यता है। इस दिन भगवान शिव एवं लक्ष्मी-नारायण की उपासना के लिए उपवास रखने से विशेष फल प्राप्त होता है। व्रत के दौरान फलाहार किया जाता है। व्रत रखने से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं, और जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है।
दक्षिणावर्ती शंख पूजन का महत्व-

श्रावण पूर्णिमा पर दक्षिणावर्ती शंख का पूजन करना शुभ माना जाता है। शंख भगवान विष्णु का प्रतीक है, इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। इस शंख में गंगाजल भरकर भगवान विष्णु पर चढ़ाने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप-

श्रावण मास की पूर्णिमा पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्’ इस मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की पूजा करने से सभी रोग और दोष समाप्त होते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से जीवन में आने वाले संकटों को दूर करता है और भगवान शिव की कृपा से समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
चंद्रमा को दी जाती है अर्घ्य और पूजा- श्रावण मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा की कृपा पाने के लिए जल में कच्चे दूध और चावल मिलाकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें। इस दिन रात्रि में चंद्रमा के सामने बैठकर ‘ॐ सोमाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। चंद्रमा को खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं और चंद्रदेव से अपने मन की शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। चंद्रमा की कृपा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती हैं। इस दिन व्रत रखना भी शुभ होता है।
दान देने का महत्व-
श्रावण मास पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करना बहुत ही पुण्यकारी होता है। दान देने से न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि दाता के जीवन में भी सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। विशेष रूप से इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना बहुत शुभ माना जाता है।

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