नई दिल्ली। जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का आज मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है। जिससे जूना अखाड़ा सहित पूरा संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर है।
इस जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन हो रहा है। जूना अखाड़े ने तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी ।
पायलट बाबा देश की सेवा में रहे हमेशा तत्पर- महंत श्री हरी गिरी महाराज ने पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। बाबा 1974 में विधिविधान से दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी संन्यास यात्रा प्रारंभ की।
बाबा सन्यास से पूर्व रहे विंग कमांडर लड़े कई युद्ध-
संन्यासी बनने से पूर्व पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था ।
अखाड़े की उन्नति के लिए हमेशा करते रहे कार्य- बाबा विकास के लिए हमेशा अखाड़े के लिए कार्य करते रहे। उन्होंने ये भी बताया की पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे। 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया।
बाबा की अंतिम इच्छा थी की उत्तराखंड मे समाधि दी जाये- बाबा मी इच्छा के अनुसार उत्तराखंड में समाधि दी जाना था।
श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी । जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत,महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे।
बाबा की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन- जूना अखाड़ा हरिद्वार में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय सचिव श्री महंत महेश पुरी सचिव श्रीमान शैलेंद्र गिरी श्रीमहंत पूर्ण गिरि, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती ,कोठारी महंत महाकाल गिरि ,महंत रतन गिरी, महंत हीरा भारती ,महंत गौतम गिरि, महंत आकाश पूरी ,महंत धीरेंद्र पुरी आदि ने उनको श्रद्धांजलि दी तथा भैरव अखाड़ा घाट पर मां गंगा में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।