नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का व्रत रखे जाने की परम्परा है। इस व्रत को करने से बेऔलाद की सूनी गोद भर जाती है। इसके साथ ही जिनकी पहले से संतान है उन्हें तरक्की और लंबी आयु की इच्छा पूरी होती है।
आज के दिन माताएं अपनी संतान की लम्बी इमरान और उनकी सुख-समृद्धि के लिए हल षष्ठी का व्रत रखती हैं । यह पर्व श्री बलरामजी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का प्रधान शस्त्र हल और मूसल है। इसलिए इस दिन को हलषष्ठी, हरछठ या ललही छठ के रूप में मनाया जाता है। बलराम को हलधर के नाम से जाना जाता है। आज के दिन व्रत करने से जातक को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और जिनकी पहले से संतान है, उनकी संतान की आयु,निरोगी और यश वैभव में भी वृद्धि होती है। आज के दिन श्री बलराम के साथ-साथ भगवान शिव, पार्वती जी, श्री गणेश, कार्तिकेय जी, नंदी और सिंह आदि की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
हल षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त-
हल षष्ठी का व्रत आज यानी कि 24 अगस्त को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ यानी कि आज 24 अगस्त को सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर होगा, जबकि इसका समापन 25अगस्त को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर होगा।
हल षष्ठी व्रत और पूजा विधि- हल षष्ठी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर साफ कपड़े पहन लें।
इसके बाद भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
अब मंदिर या पूजा घर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें।
फिर चौकी पर बलराम जी और भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें।
दोनों देवताओं को चंदन का तिलक कर फल, फूल, धूप, दीप आदि पूजा सामग्री अर्पित करें।
भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के साथ छठ माता की भी पूजा करें।
श्रीकृष्ण की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
हल षष्ठी व्रत पूजा नियम-
हल षष्ठी के दिन बलराम जी के शस्त्र ‘हल’की भी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन गाय के दूध और दही का सेवन करना पूर्णतया वर्जित माना गया है।
इस दिन हल से जोते गए किसी भी अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
हल षष्ठी के दिन हल चले जमीन का अन्न, फल, साग-सब्जी का सेवन करना वर्जित होता है।
इस दिन तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन का सेवन बिल्कुल भी न करें।
आज के दिन बड़ों का सम्मान करें और न ही किसी के लिए अपशब्द का प्रयोग करें।
अस्वीकरण- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आंशिक मीडिया किसी भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है