नई दिल्ली। चंचलता बच्चों का स्वाभाव होता है बच्चों के मन की चंचलता जब तक दूर नहीं होती तब तक पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता। अक्सर माता-पिता बच्चों को जबरन पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं यहाँ तक उनके साथ मारपीट भी करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बच्चे नहीं पढ़ते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या आ रही है तो आपको बच्चे पर अपने फैसले थोपने की बजाय, वास्तु के कुछ नियमों को आजमाकर देखना चाहिए। वास्तु के कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें बच्चे के पढ़ने वाले कमरे में अगर आप कर देते हैं तो इससे अच्छे परिणाम बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त हो सकते हैं। आज जानते हैं वास्तु के इन विशेष उपायों के बारे में।
माता-पिता कभी भी पढ़ाई वाले कमरे में ऐसी चीजें न रखें जिससे बच्चे का ध्यान भटके। जैसे- टीवी, रद्दी, मैगजीन आदि बच्चों के पढ़ाई वाले कमरे में आपको नहीं रखना चाहिए। जिस कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं वो खुला हुआ हो, वहां पर सूर्य किरणें आएं और रोजना उसकी सफाई होनी चाहिए।
कमरे का करें ये कलर-
वास्तु के अनुसार जिस कमरे में बच्चे पढाई करते हैं उसका कलर भी आपको सोच-समझकर रखना चाहिए। बच्चों के कमरे को कभी भी डार्क कलर से न कलर करें, वास्तु में इसे सही नहीं माना जाता। इसलिए गलती से भी आपको बच्चों के कमरे को कभी काले, नीले या लाल रंग से नहीं रंगना चाहिए। इससे शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
पढ़ाई का कमरा इस दिशा में होना चाहिए
वास्तु के अनुसार पढ़ाई के कमरे के लिए ये दिशा सबसे शुभ-वास्तु के अनुसार बच्चों के पढ़ाई के कमरे की दिशा उत्तर-पूर्व होगी तो इससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा। इसके साथ ही उसकी बुद्धि भी तेज होगी। अगर आप गलत दिशा में बच्चों के पढ़ने का कमरा बनाते हैं तो इससे भी उनकी एकाग्रता भंग हो सकती है।
इस तरह रखें टेबल-
वास्तु के अनुसार बच्चों की पढ़ने वाली टेबल को कभी भी दीवार पर चिपकाकर न रखें। इसके साथ ही टेबल पर घर का सामान या कोई ऐसी चीज न रखें जिससे बच्चे का ध्यान भटके, टेबल पर बच्चे की किताबें ही आपको रखनी चाहिए
इसके साथ ही टेबल पर आप माता सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर रख सकते हैं इससे भी बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है।
बच्चों की पढ़ाई रूम में भूलंकार भी न लाएं ये चीजें- वास्तु के अनुसार जिस कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं वहां ना ही आपको खाना खाना चाहिए और जूते चप्पल लेकर भी उस कमरे में नहीं आना चाहिए। पढ़ाई वाले कमरे में जितनी शुद्धता आप बरतेंगे उतना ही सकारात्मक वो कमरा बना रहेगा, इससे बच्चों की स्मरण शक्ति मजबूत होती है और शिक्षा जीवन में परेशानियों का सामना उनको नहीं करना पड़ता।
अस्वीकरण-यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आंशिक मीडिया किसी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।