रखें परिवर्तनी एकादशी का व्रत मिलेगी पापों से मुक्ति, जीवन होगा सफल, जानें पूजा की विधि..

नई दिल्ली। धार्मिक परम्परा के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु 4 मास के लिए योग निद्रा में हैं। वहीं, भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन साइड से दूसरी साइड को करवट लेंगे या कहा जा सकता है नींद मे सोये हुए भगवान अपनी करवट परिवर्तन करेंगे । इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी के अलावा पदमा एकादशी, जलझूलनी एकादशी जैसे विभिन्न नामों से नामों से भी जाना जाता है। मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

परिवर्तिनी एकादशी तिथि-

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का ओररम्भ 13 सितंबर शुक्रवार रात 10 बजकर 30 मिनट से

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 14 सितंबर शनिवार रात 08बजकर 41मिनट पर तक

उदया तिथि के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर दिन शनिवार को है।

जैसा कि सब जानते हैं कि चातुर्मास में विष्णु जी योग निद्रा में रहते हैं और ये उनका निद्राकाल रहता है। ऐसे में इस एकादशी पर विष्णु जी करवट बदलते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है, साथ ही जीवन में खुशियों का भंडार प्राप्त होता है।

परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 14 सितंबर 2024 को रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 38 मिनट से सुबह 09बजकर 11मिनट तक रहेगा। इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण समय-

परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पारण समय- 15 सितंबर रविवार सुबह 6 बजकर 6मिनट से सुबह 8बजकर 34 मिनट के बीच

परिवर्तिनी एकादशी व्रत विधि-

परिवर्तिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से फ्री होकर स्नान आदि कर लें।

इसके बाद साफ-सुथरे वक्त धारण करके व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें सबसे पहले उन्हें पुस्तक के माध्यम से जल अर्पित करें।

आप भगवान विष्णु को पीला रंग का चंदन और अक्षत लगाएं।

भगवान विष्णु को फूल, माला, तुलसी दल आदि चढ़ाएं।

इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं।

घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु की एकादशी व्रत का पाठ करें।

पाठ करने के बाद भगवान विष्णु की चालीसा मंत्र का जाप करने के बाद विधिवत तरीके से आरती करें।

उसके बाद अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

अस्वीकरण- ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।

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