शिक्षक हर किसी ज़िंदगी की कड़ी, इसके बिना लाइफ में सफल होना नामुमक्किन, शिक्षक में ये 5 गुण हैं जरुरी..

नई दिल्ली। हमारे जीवन में शिक्षक की भूमिका सर्वोपरि होती है, और उन्हें सम्मान देने के लिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी छात्र-छात्राएं अपने गुरुजनों का आभार व्यक्त करते हुए उनके योगदान को याद करते हैं। कहते हैं कि इस पूरे जीवन काल में विद्यार्थी होने की उम्र सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। ये बच्चों के आत्म विकास और जीवन में उन्नति के शिखर की सीढ़ी का पहला पावदान होता है यह ऐसा समय होता है, जिसमें वह अपनी रूचि के आधार पर लक्ष्य का चयन करते हैं। इस उम्र में बनाए गए लक्ष्यों को पूरा करने में शिक्षक की भूमिका अहम होती है, क्योंकि वह छात्र को उनके सपने पूरा करने की प्रेरणा देते हैं। एक शिक्षक और छात्र का रिश्ता बेजोड़ और प्यारा होता है, क्योंकि वह न केवल किताबी ज्ञान बल्कि क्या सही आई और क्या गलत है से भी रूबरू कराते हैं। जीवन में शिक्षक का स्थान सबसे उच्च स्तर पर होता है, और उनकी छाया में बच्चों का भविष्य संवारता है। एक शिक्षक चाहे तो बच्चे को कोहिनूर बना सकता है और न चाहे तो उसे बिगाड़ भी सकता है। शिक्षक जीवन की वो कड़ी है जिस पर पूरा जीवन निर्भर करता है। ऐसा जाता है कि जो भी हम किसी से कुछ भी सीखते वो चाहे अच्छा हो या बुरा गुरु की भूमिका अदा करता है। ऐसे में एक शिक्षक के अंदर ये पांच गुण जरूर होने चाहिए। जो हमारे लिए जानना बेहद जरुरी है।

1-समानता का भाव-

एक आदर्श शिक्षक की सबसे बड़ी और अहम पहचान होती हैं कि, वह किसी भी बच्चे से भेदभाव न करें। उन्हें सभी शिष्यों को समानता के साथ शिक्षा देनी चाहिए। यदि कोई छात्र पढ़ाई में कमजोर है, तो उसे हमेशा प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

2- धैर्यवान-

एक शिक्षक का दूसरे बड़ा गुण उसको हमेशा धैर्यवान होना चाहिए। इससे मानसिक शांति का अनुभव होता है। दरअसल, कई बार छात्र एक ही प्रश्न को कई बार पूछे हैं। ऐसे में अध्यापक को सरलता से पेश आना चाहिए। साथ ही बच्चों को भी एक दूसरे की सहायता करने कि सलाह देनी चाहिए।

3- ऊर्जावान-

एक शिक्षक को हमेशा ऊर्जावान रहना चाहिए, और बिना किसी आलस के सभी बच्चों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। इसके अलावा छात्रों की परेशानी को समझते हुए नई चुनौतियों से परिचित कराना चाहिए। और उन्हें हर समय बच्चों की सहायता के लिए उपलब्ध होना चाहिए। ऐसा करने से विद्यार्थी और अध्यापक का रिश्ता और मजबूत होता है।

4- प्रेरणा का स्त्रोत-

एक शिक्षक को हमेशा अपने छात्रों का प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहिए। न कि काम समझना। उन्हें समय समय पर सही गलत की पहचान कराते हुए आगे बढ़ने की सलाह देनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चों में हौसला बना रहता है, और उनके सीखने की क्षमता का विकास होता है।

5- ज्ञानी-

एक शिक्षक में ज्ञान का भंडार माना जाता है। इसलिए उसे सभी विषयों का गहरा ज्ञान होना चाहिए। अगर ज्ञान नहीं है इसे कहीं कहीं से हासिल कर छात्रों के सभी प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए। और उन तक विस्तृत जानकारी भी पहुंचती हैं।

अस्वीकरण- ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।

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