सलोनी तिवारी : ऋषीवाणी : श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज रात 17 नवंबर 2024 को एक विशेष शुभ मुहूर्त में बंद किए जाएंगे। भगवान बद्रीनाथ के शीतकालीन विश्राम का यह पावन क्षण हजारों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भावनाओं से भरपूर होता है।
इस अवसर पर मंदिर को भव्य पुष्पों से सजाया गया है, और कपाट बंद होने से पहले विशेष पूजा-अर्चना एवं भोग प्रसाद का आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालु दूर-दूर से इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने बद्रीनाथ पहुंचे हैं।कपाट बंद होने की प्रक्रिया में परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया जाएगा। इस दौरान भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को श्रद्धालुओं की उपस्थिति में रावल (मुख्य पुजारी) और बद्रीनाथ मंदिर के पुजारियों द्वारा योगध्यान बद्री (जोशीमठ) के लिए ले जाया जाएगा, जहां शीतकालीन पूजन संपन्न होगा।धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान बद्रीनाथ छह महीने शीतकालीन विश्राम करते हैं, और गर्मियों के मौसम में कपाट पुनः खोल दिए जाते हैं। शीतकाल के दौरान, बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद रहने पर जोशीमठ स्थित योगध्यान बद्री मंदिर में पूजा-अर्चना होती है।श्रद्धालुओं के लिए यह समय आस्था और अध्यात्म से जुड़ने का खास अवसर होता है।
धार्मिक महत्व
बद्रीनाथ धाम भारत के चार धामों में से एक है और भगवान विष्णु के आठवें अवतार की पावन भूमि मानी जाती है। कपाट बंद होने और खुलने की प्रक्रिया श्रद्धालुओं के लिए गहरी आध्यात्मिक अनुभूति का समय होता है।भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने वाले भक्तों के अनुसार, इस शुभ घड़ी में पूजा और भक्ति से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कपाट बंद होने के बाद, अगले वर्ष कपाट खुलने तक भक्तों को धैर्य और विश्वास के साथ भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रतीक्षा करनी होती है।जय बद्रीनाथ!
अस्वीकरण- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। आंशिक मीडिआ किसी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।