सलोनी तिवारी: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरो-डेवलपमेंटल स्थिति है जो बच्चे के जन्म के समय से ही होती है और इसका असर व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, संवाद कौशल और सोचने की क्षमता पर पड़ता है। यह स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर है, जिसका मतलब है कि ऑटिज्म के लक्षण और गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है।
ऑटिज्म के लक्षण
ऑटिज्म के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और गंभीरता में भी भिन्न हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सामाजिक कौशल में कमी: आंखों का संपर्क बनाए रखने में कठिनाई, दूसरों के साथ खेलने में रुचि की कमी, चेहरे के भावों को समझने में कठिनाई।
- संचार में कठिनाई: बोलने में देरी, शब्दों का दोहराव, दूसरों की बात समझने में कठिनाई।
- रूढ़िवादी व्यवहार: विशिष्ट दिनचर्याओं या रुचियों से जुड़ाव, परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध, वस्तुओं के साथ असामान्य तरीके से खेलना।
- संवेदी संवेदनशीलता: कुछ ध्वनियों, प्रकाश या स्पर्श के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता या कम संवेदनशीलता।
ऑटिज्म के कारण
ऑटिज्म के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आए हैं। हालांकि, शोध से पता चलता है कि आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारक और मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन ऑटिज्म के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
ऑटिज्म का निदान
ऑटिज्म का निदान आमतौर पर विकासात्मक बाल रोग विशेषज्ञ, बाल मनोवैज्ञानिक या अन्य संबंधित विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। निदान के लिए बच्चे के व्यवहार का मूल्यांकन, माता-पिता के साथ साक्षात्कार और कभी-कभी अतिरिक्त परीक्षण शामिल हो सकते हैं।
ऑटिज्म का उपचार
ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार के माध्यम से लक्षणों को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को अधिक स्वतंत्र और उत्पादक जीवन जीने में मदद मिल सकती है। उपचार में शामिल हो सकते हैं:
- व्यवहार थेरेपी: व्यवहार को बदलने और नए कौशल सीखने में मदद करने के लिए।
- भाषण थेरेपी: संचार कौशल में सुधार करने के लिए।
- शारीरिक थेरेपी: मोटर कौशल में सुधार करने के लिए।
- औषधि: कुछ मामलों में, व्यवहार संबंधी समस्याओं को प्रबंधित करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
ऑटिज्म और समाज
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले व्यक्ति भी समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्हें समान अवसर और समर्थन प्रदान करके, हम उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं।
अस्वीकरण- यहां दी गई जानकारियां विभिन्न लोगों से बातचीत पर आधारित हैं। आंशिक मीडिआ किसी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।