सलोनी तिवारी: हिंदू धर्म में माघ मास का विशेष स्थान है। इसे कार्तिक माह के समान पुण्यकारी माना गया है। माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध, और जरूरतमंदों को दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य:
- गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- भगवान विष्णु का पूजन करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- असहायों को भोजन, वस्त्र और जरूरत का सामान दान करें।
- तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, अन्न और सोने-चांदी का दान करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराकर पूर्णिमा कथा का पाठ करें।
माघ पूर्णिमा चंद्रोदय का समय (12 फरवरी 2024)
12 फरवरी को चंद्रमा शाम 6:00 बजे उदय होगा और पूर्णिमा तिथि शाम 6:53 बजे तक रहेगी। इस दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देने का उत्तम समय रहेगा। वैदेही पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा व्रत 12 फरवरी को ही रखा जाएगा क्योंकि इस दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि है। धार्मिक दृष्टि से यही विधान सही माना जाता है।
माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या घर में स्नान करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- लकड़ी की चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पंचामृत से स्नान कराकर भगवान को वस्त्र और तिलक अर्पित करें।
- प्रसाद के रूप में पंचामृत, कसार, केला आदि रखें और पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती कर पूजा संपन्न करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अस्वीकरण-यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आंशिक मीडिया किसी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।