श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन

सलोनी तिवारी: अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज लखनऊ पीजीआई में चल रहा था, जहां ब्रेन हैमरेज के चलते उन्होंने अंतिम सांस ली। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

लंबे समय से थे अस्वस्थ

आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब थी। 29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक के कारण उन्हें अयोध्या के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से चार फरवरी को लखनऊ पीजीआई रेफर किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनसे मुलाकात कर उनकी सेहत की जानकारी ली थी।

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से शोक संदेश

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार सुबह माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर लखनऊ पीजीआई में निधन हो गया। वे वर्ष 1993 से श्री रामलला की सेवा कर रहे थे। उनके निधन पर ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय और मंदिर व्यवस्था से जुड़े अन्य संतों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

अंतिम संस्कार सरयू तट पर

बताया जा रहा है कि आज दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जाएगा। गुरुवार को सरयू तट पर पूरे विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर शोक जताते हुए कहा, “परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।”

आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन परिचय

आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई 1945 को उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में हुआ था। वे बचपन से ही भक्ति भाव में रुचि रखते थे और 1958 में रामलला की सेवा के लिए संन्यास ग्रहण किया था।

उन्होंने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की और 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए। मार्च 1992 में उन्हें राम जन्मभूमि परिसर में पुजारी नियुक्त किया गया था। तब उन्हें केवल 100 रुपये मासिक वेतन मिलता था, जो बाद में बढ़ाकर 38,500 रुपये कर दिया गया।

रामलला की 34 वर्षों तक सेवा

आचार्य सत्येंद्र दास ने 34 वर्षों तक रामलला की सेवा की। वे बाबरी विध्वंस से लेकर रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा तक के साक्षी रहे। उन्होंने 28 वर्षों तक टेंट में रहकर रामलला की सेवा की और फिर अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना की।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उनकी लंबी सेवा को देखते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ट्रस्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब भी वे चाहें, मंदिर आकर पूजा कर सकते हैं।

आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से धार्मिक जगत में शोक की लहर है। अयोध्या वासियों और राम भक्तों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है।

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