सलोनी तिवारी: सनातन धर्म में होली का त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस दिन अमीर-गरीब सभी लोग आपसी भेदभाव भुलाकर रंगों के साथ खुशियां मनाते हैं। लेकिन होली से पहले आने वाले होलाष्टक को लेकर कुछ विशेष धार्मिक मान्यताएं हैं।
होलाष्टक कब से शुरू होगा?
होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक रहता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।
होलाष्टक 2025 तिथि और होली का शुभ मुहूर्त
- होलाष्टक आरंभ: बुधवार, 7 मार्च 2025
- होलाष्टक समाप्त: गुरुवार, 13 मार्च 2025
- होलिका दहन: 13 मार्च 2025, रात 10:45 बजे से 1:30 बजे तक
- रंगों की होली: 14 मार्च 2025
होलाष्टक पर शुभ कार्यों की मनाही क्यों?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है, जिससे इस समय किए गए शुभ कार्यों के सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते। इसी कारण इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए।
होलाष्टक में वर्जित कार्य
होलाष्टक के दौरान निम्नलिखित कार्य करने से बचना चाहिए:
✅ मांगलिक कार्य (शादी-विवाह)
✅ मुंडन या कर्णछेदन
✅ नामकरण संस्कार
✅ अन्नप्राशन संस्कार
✅ गृह प्रवेश
✅ विद्यारंभ संस्कार
✅ यज्ञोपवीत संस्कार
क्या करें होलाष्टक के दौरान?
✔ भगवान विष्णु, नरसिंह और श्रीकृष्ण की पूजा करें।
✔ हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, और श्रीमद्भागवत का पाठ करें।
✔ जरूरतमंद लोगों को दान दें, विशेष रूप से अन्न और वस्त्र।
निष्कर्ष
होलाष्टक एक धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण समय है, जिसमें शुभ कार्यों से बचने और ईश्वर की आराधना करने की परंपरा है। इसके बाद होली का पर्व समस्त समाज में उल्लास और सौहार्द्र का संदेश लेकर आता है।