कानपुर में गंगा मेला: एक ऐतिहासिक क्रांति से जन्मी अनोखी होली परंपरा

सलोनी तिवारी: कानपुर: उत्तर प्रदेश का कानपुर ऐतिहासिक शहर है, जिसे क्रांतिकारी शहर भी कहा जाता है। देश भर में होली एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है, लेकिन कानपुर में इसकी शुरुआत एक क्रांति के रूप में हुई थी। यही वजह है कि यहां होली सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि सात दिनों तक खेली जाती है। खास बात यह है कि कानपुर में होली का सबसे बड़ा रंगोत्सव गंगा मेला के रूप में मनाया जाता है, जिसका इतिहास बेहद रोमांचक और प्रेरणादायक है।

कानपुर की होली: एक हफ्ते तक चलने वाला रंग पर्व

होली का नाम आते ही रंग, गुलाल और उमंग से भरी तस्वीरें दिमाग में उभरती हैं, लेकिन कानपुर की होली का रंग कुछ अलग ही है। यहां होली पूरे हफ्ते चलती है और इसका समापन ऐतिहासिक गंगा मेला के साथ होता है। हटिया बाजार से निकलने वाले रंगों के भैंसा ठेले और सरसैया घाट पर रंगों में डूबे लोगों की भीड़ इस उत्सव को और भी खास बना देती है।

अंग्रेजों के शासन में शुरू हुई परंपरा

गंगा मेला की शुरुआत की कहानी 1942 से जुड़ी है, जब देश अंग्रेजों की हुकूमत में था। कानपुर के हटिया बाजार के कुछ युवा होली खेलना चाहते थे, लेकिन उस समय के डीएम ने इस पर सख्त पाबंदी लगा दी। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी होली नहीं खेलेगा। लेकिन कानपुर के क्रांतिकारी स्वभाव वाले युवाओं ने इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया और हर हाल में होली खेलने की ठान ली।

जैसे ही युवाओं ने रंग खेलना शुरू किया, पुलिस ने आकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से पूरे शहर में गुस्सा भड़क उठा। लोगों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया कि जब तक सभी गिरफ्तार युवाओं को रिहा नहीं किया जाएगा, तब तक होली खेली जाती रहेगी। जनता का यह आंदोलन इतना मजबूत हो गया कि प्रशासन को आखिरकार झुकना पड़ा और सभी कैदियों को रिहा करना पड़ा।

गंगा मेला: स्वतंत्रता संग्राम की याद में मनाया जाने वाला पर्व

गंगा मेला सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और एकता की याद भी है। तभी से कानपुर में यह परंपरा बन गई कि होली के बाद गंगा मेला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी लोग रंगों से सराबोर होकर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देंगे। यह मेला आज भी उसी जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है और पूरे देश में कानपुर की होली को खास बनाता है।

कानपुर की होली की खासियत

  • रंगभरी होली: कानपुर में होली की शुरुआत हटिया बाजार से होती है, जहां रंगों के भैंसा ठेले निकलते हैं।
  • सरसैया घाट का नज़ारा: गंगा मेला के दिन सरसैया घाट पर हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और रंगों में सराबोर होकर इस ऐतिहासिक पर्व को मनाते हैं।
  • सात दिनों तक उत्सव: कानपुर में होली सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि पूरे हफ्ते तक चलती है और हर गली-मोहल्ले में इसका अलग ही रंग देखने को मिलता है।
  • क्रांति की पहचान: यह पर्व केवल रंगों का नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और देशभक्ति की भावना का प्रतीक भी है।

गंगा मेला कानपुर की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यह त्योहार केवल रंगों की मस्ती नहीं, बल्कि कानपुर की संघर्षशील आत्मा और जुझारूपन का परिचायक भी है।

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