सलोनी तिवारी: भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को यह संधि कराची में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुई थी। विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई इस संधि का उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल का शांतिपूर्ण और न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना था।
संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों – रावी, ब्यास और सतलुज – का नियंत्रण प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – का जल मिलता है। गौरतलब है कि कुल जल प्रवाह का 80% हिस्सा पाकिस्तान को प्राप्त होता है, जिससे वहां की 80% कृषि भूमि सिंचित होती है।
संधि के निलंबन का असर पाकिस्तान पर सिंधु नदी प्रणाली पाकिस्तान की कृषि और जीवन रेखा है। लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर खेती योग्य भूमि इस पर निर्भर करती है और देश का 93% सिंचाई इसी से होती है। अनुमानित तौर पर यह प्रणाली पाकिस्तान की 61% आबादी के लिए भोजन और रोजगार का साधन है।
इतिहास में झांके तो… 1947 के बाद, 1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो नहरों का पानी रोक दिया था, जिससे पाकिस्तान में कृषि संकट गहरा गया था। बाद में अस्थायी समझौतों और फिर अमेरिका की पहल पर लंबी बातचीत के बाद 1960 में संधि बनी।