“एक कागज़ का टुकड़ा” जीवन और मौत के सफर के बीच में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है। माँ के गर्भ में आने पर सबसे पहले जैसे ही डॉक्टर को दिखाने जाते हैं बस उस कागज के टुकड़े का अहम् रोल शुरू हो जाता है और सफर शुरू होता है कागज़ के टुकड़े पर डॉक्टर के निर्देश के साथ दवा शुरू कर दी जाती है असल मायने में तभी से वो कागज़ का टुकड़ा अहम् भूमिका में होता है जिस पर धीरे धीरे हर महीने के उतार चढ़ाव का ब्योरा दर्ज होने लगता है। धीरे धीरे 9 महीने बाद उसी कागज़ का फिर से नया रूप सामने आता है अब एक नया कागज़ बनता है जो बच्चे के जन्म के रिकॉर्ड दर्ज होने से अपने सफर की शुरुआत करता है। वो कागज बहुत महत्वपूर्ण होता है उसी से कुंडली से लेकर सरकारी दस्तावेजों में हमारे अस्तित्व को दर्शाता है। पूरे जीवन में हर मोड़ पर ये वही कागज़ होता है जो कभी हमारे स्कूल टाइम में , कभी नौकरी में, कभी शादी में , कभी बैंक में या हर उस जगह जहाँ हमारे होने का अस्तित्व होता है ये कागज़ ही हमारे होने का सबूत होता है। कभी हम बीमार होते तो फिर एक कागज़ से फाइल तैयार होती है और जब इंसान अंतिम साँस लेता है उसके बाद फिर एक कागज़ बनता है जो दर्शाता है की जिंदगी का सफर पूरा हुआ। सोचियेगा कभी “एक कागज़ का टुकड़ा” जिंदगी और मौत के बीच के सफर में सबसे अहम् होता है” @कॉपी राइट “नवदीप चतुर्वेदी ”
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