नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है। माँ चंद्रघंटा की 10 भुजाएँ हैं और वे अपने वाहन के रूप में शेर का उपयोग करती हैं। देवी चंद्रघंटा निर्भयता और साहस का प्रतीक हैं। उनके हाथों में अस्त्र शस्त्र सुशोभित रहते हैं । चन्द्र या अर्ध चन्द्र की उपस्थिति जो उसके माथे पर घण्टा या घंटी के आकार की है इसी कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।