सावन के पहले बृहस्पतिवार को बन रहा शिववास का योग। जानें कब करें शिव का अभिषेक

नई दिल्ली:- सावन के पहले गुरुवार पर ‘शिववास’ योग बन रहा है , देवों के देव महादेव संग जगत जननी मां पार्वती की पूजा करने से व्रत करने वालों/ वृती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विवाहित स्त्रियां सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए सावन के सोमवार पर व्रत रखती हैं।

क्यों की जाती है शिव-पार्वती की पूजा:- सावन का महीना भगवान शिव को विशेष प्रिय है। इस महीनें में हर दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में खुशियां आती है। सावन के इस अवसर पर शिवभक्त श्रद्धा भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं। सावन के पहले गुरुवार पर शिववास योग का बन रहा है।

अभिजीत और शोभन योग:-
सावन के पहले गुरुवार पर शोभन योग सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से 01 बजे तक है। इस दौरान शिव-पार्वती जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

इस पूरे दिन होगा शिववास योग:– सावन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी कि 25 जुलाई को पूरे दिन शिववास का मुहूर्त है। इस योग का समापन देर रात 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। इस शुभ अवसर पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन भी पंचमी तिथि के समय पर हो रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव नंदी पर बिराजमान होंगे। भगवान शिव के नंदी पर बिराजमान रहने के समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को हर कार्य में सफलता मिलती है। इसके साथ ही कौलव और तैतिल करण के भी योग बन रहे हैं। जबकि, पूर्व भाद्रपद और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 55 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 12 मिनट पर

चन्द्रोदय– शाम 10 बजकर 17 मिनट पर
चंद्रास्त– सुबह 09 बजकर 46 मिनट पर (26 जुलाई)

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 12 मिनट से 07 बजकर 34 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

राहु काल – दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 53 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 54 मिनट से 10 बजकर 54 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबलं :-
भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।

चन्द्रबलं:-
मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ

अश्वीकरण:-इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। आंशिक मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/ से संकलित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का प्रयोग करें। आंशिक मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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