नई दिल्ली-हमारी बॉडी ठीक तरीके से काम करती रहे इसके लिए जरूरी है कि हमें खाने में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहें। विटामिन-सी और डी, प्रोटीन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की खूब चर्चा सुनी है, पर क्या आप जानते हैं कि हमें इन्हीं पोषक तत्वों की तरह रोजाना फाइबर की भी जरूरत होती है?
फाइबर हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए सबसे जरूरी तत्व है। फाइबर मल को नरम बनाता है जिससे कब्ज की आशंका दूर होती है। अगर आप भरपूर मात्रा में फाइबर वाली चीजें खाते हैं तो ये आंतों को स्वस्थ रखने में काफी मददगार हो साबित हो सकता है।
मूल रूप से फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कई प्रकार के बीजों में फाइबर पर्याप्त मात्र में पाया जाता है। अगर शरीर में फाइबर की कमी हो जाए तो स्वास्थ्य पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
आज हम आपको फाइबर की कमी से किस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं इसके बारे मे चर्चा करेंगे।
बॉडी के लिए फाइबर है इस लिए जरुरी-फाइबर आपके पेट को ठीक रखने, आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए तो जरूरी है ही इसके साथ ही इसकी मदद से ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं को भी संतुलित रखा जा सकता है।
डॉक्टरों का मानना है-अगर आपका पाचन ठीक है तो इसका मतलब है कि आप स्वस्थ हैं। आहर में फाइबर वाली चीजों को शामिल करके पाचन को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
अगर आपके आहार में फाइबर वाली चीजों की मात्रा कम है या फिर शरीर में फाइबर की कमी हो जाए तो इसके कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
हो सकता है कब्ज और आंतों की समस्याओं का खतरा-फाइबर की कमी होने से मल सख्त हो जाता है जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है। फाइबर की कमी होने से पेट फूलने, गैस और अपच जैसी दिक्कतें भी होने लगती हैं। लंबे समय तक बनी रहने वाली फाइबर की कमी के कारण बड़ी आंतों में दिक्कत हो सकती है और इसके कारण डायवर्टीकुलिटिस नामक बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है। कब्ज की समस्या पूरे पाचन तंत्र के लिए मुसीबत बढ़ा देती है।
शुगर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा– घुलनशील फाइबर पानी में मिलकर आपके पेट में जेल जैसा पदार्थ बनाते हैं, जिससे पाचन धीमा हो जाता है। यह आपके रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। ऐसे में यदि आहार में फाइबर की कमी है तो इसके कारण ब्लड शुगर बढ़ सकता है। घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है। इसकी कमी से रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने का खतरा रहता है जिससे हृदय स्वास्थ्य की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।