नई दिल्ली । बदलते मानसून के दिनों में कई तरह के मच्छर जनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। तेज बारिश, जलभराव और बाढ़ जैसी सिचुएशन में मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल होती हैं। इस कारण मानसून और बाद के कुछ महीनों में डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे तमाम वायरल घातक बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। डाक्टरों का कहना है कि चिकनगुनिया शरीर के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। हर साल चिकनगुनिया के हजारों मामले सामने आते हैं। ऐसे में चिकनगुनिया के कारण और लक्षण जानकर इस रोग से बचाव के उपाय के बारे में हम इस लेख में चर्चा करेंगे।
क्यों होता है चिकनगुनिया–
चिकनगुनिया बुखार डेंगू की ही तरह मच्छरों के कारण होने वाली एक बीमारी है। यह बीमारी मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से इंसानों में चिकनगुनिया होती है। इस रोग की पुष्टि केवल ब्लड टेस्ट करके ही की जा सकती है। चिकनगुनिया के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। अगर आपको 3-4 दिन तक चिकनगुनिया से संबंधित लक्षण बने रहते हैं तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर जाँचवी जरूर करा लेना चाहिए।
क्या हैं चिकनगुनिया के लक्षण– चिकनगुनिया में रोगी को अचानक तेज बुखार के साथ अंगों पर चकत्ते, जोड़ों में तेज दर्द, सिर दर्द, भूख न लगना जैसे लक्षण दिखते हैं। चिकनगुनिया का इनक्यूबेशन पीरियड 2-6 दिन होता है। कुछ लोगों को चिकनगुनिया के ठीक होने kebकई महीनों बाद तक भी जोड़ों के दर्द की समस्या बनी रहती है।
चिकनगुनिया के दीर्घकालिक मामलों में क्रोनिक आर्थराइटिस और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या है चिकनगुनिया का इलाज-चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं बनी है, न ही कोई वैक्सीन है। इसलिए उपचार में लक्षणों को कम करने और कठिनाइयों से राहत दिलाने के लिए प्रयास ही किया जा सकता है। रोगी को अधिक से अधिक तरल पदार्थ पीना चाहिए और आराम की सलाह दी जाती है।
कैसे रखें चिकनगुनिया बीमारी से बचाव-चिकनगुनिया संक्रमित मच्छरों से फैलता है। एडीज मच्छर दिन में सक्रिय होते हैं इसलिए मच्छरों से बचाव करके इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
बचाव के लिए ध्यान मे रखें ये बाते-पूरी बाजू की शर्ट और पैंट पहनें जिससे मच्छरों से बचाव किया जा सकता है।
वहां जाने से बचें जहाँ हो चिकनगुनिया का संक्रमण-
जिन स्थानों पर वायरल बुखार का संक्रमण है, वहां जाने से बचें।
मच्छरों से बचाव के लिए स्प्रे व दवाओं का इस्तेमाल करें।
रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करके भी सुरक्षित रहा जा सकता है।
यदि 3-4 दिन तेज बुखार आए तो डॉक्टर की सलाह से खून का जांच जरूर करा लें, जिससे सही समय पर उचित समस्या का समाधान किया जा सके।
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