नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में लक्ष्य सेन ने शुरुआत जीत के साथ की थी। हालांकि, उनकी पहली दौर की जीत अमान्य घोषित कर दी गई थी। शनिवार को खेले गए पुरुष एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता में ग्वाटेमाला के केविन कॉर्डन के खिलाफ जीत दर्ज की थी। लेकिन कोहनी की चोट की वजह से कॉर्डन ने अपना नाम प्ले लिस्ट से वापस ले लिया था।
पेरिस ओलम्पिक में भारत के युवा शटलर लक्ष्य सेन शु्क्रवार को पुरुष एकल सेमीफाइनल में पहुंच गए। ओलम्पिक गेम के इतिहास में वह बैडमिंटन में पुरुष सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन चुके हैं। लक्ष्य ने ताइवान के चू टिन चेन को 19-21, 21-15, 21-12 से हराया। अब वह पदक की जंग में कसेंगे कमर।
ओलम्पिक में जीत से क्यो शुरुआत- पेरिस ओलंपिक में लक्ष्य ने शुरुआत जीत के साथ की थी। हालांकि, उनकी पहली दौर की जीत अमान्य घोषित कर दी गई थी। शनिवार को खेले गए पुरुष एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता में ग्वाटेमाला के केविन कॉर्डन के खिलाफ जीत हासिल की थी। लेकिन कोहनी की चोट के कारण कॉर्डन ने अपना नाम वापस ले लिया था। इस तरह ग्रुप एल में केवल तीन खिलाड़ी बचे थे जिसमें सेन के अलावा क्रिस्टी और कैरागी शामिल थे।
बीते शुक्रवार को चू टिन चेन के खिलाफ जीत से पहले पुरुष एकल के प्री क्वार्टर फाइनल में लक्ष्य सेन का सामना एचएस प्रणय से हुआ था। गुरुवार को खेले गए मुकाबले में विश्व रैंकिंग 19 लक्ष्य ने 13वें रैंक के प्रणय को हरा दिया। इसी के साथ प्रणय का सफर पेरिस ओलंपिक में समाप्त हो गया था। इससे पहले दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी को सीधे गेमों में 21-18, 21-12 से मात दी थी।
उत्तराखंड में जन्मे लक्ष्य नेअपने पिता से बैडमिंटन की ली ट्रेनिंग- उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्म लेने वाले लक्ष्य ने आठ साल की उम्र में अपने पिता डीके सेन (बैडमिंटन कोच) के मार्गदर्शन में खेलना शुरू किया था। उनके परिवार ने उनके हुनर को पहचाना और उन्हें बेंगलुरु में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला दिलाया, जहां उन्होंने प्रसिद्ध कोच विमल कुमार और प्रकाश पादुकोण से खेल के गुर सीखे।
लक्ष्य ने हर साल गढ़े नये कीतिमान-लक्ष्य की भावना शुरू से ही स्पष्ट थी। 2016 में उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2017 में विश्व जूनियर रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचे। 2018 में भी उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप और समर यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
2019 में डच ओपन और सारलोरलक्स ओपन सहित कई खिताबों के साथ वह नए कीर्तिमान स्थापित करते रहे। 2021 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक के साथ-साथ 2022 में भारत की ऐतिहासिक थॉमस कप जीत में योगदान दिया।