नई दिल्ली। बच्चों की आंखों में रोशनी से संबंधित समस्याएं काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। कम उम्र में ही धुंधला दिखाई देना चश्मा लगाने की जरूर महसूस होने जैसी आंखों की समस्याएं अब काफी आम हो गई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आंखों से संबंधित इन दिक्कतों के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। पौष्टिकता में कमी से लेकर बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम मायोपिया जैसी गंभीर समस्याओं को बढ़ाता जा रहा है।
आमतौर पर जब नजर कमजोर होने और कम दिखाई देने की बात आती है, तो इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या मान लिया जाता है। हालांकि एक शोध आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चों में ये दिक्कतें अब काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं।
क्या कहते हैं नेत्र विशेषज्ञ-
नेत्र विशेषज्ञ कहते हैं, बड़ी संख्या में 10 से कम उम्र के बच्चों में मायोपिया या निकट दृष्टिदोष का निदान किया जा रहा है। इसमें दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होने लगती है जिसके लिए चश्मा पहनने की जरूरत हो सकती है।
बच्चों में बढ़ रही आंखों की समस्या-बच्चों में बढ़ती आंखों की समस्याओं के बारे में जानने के लिए किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अक्सर 6 से 14 वर्ष की आयु के बीच ये समस्या शुरू होती है। अगर इस समस्या पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो गंभीर स्थितियों में मायोपिक मैकुलोपैथी, रेटिनल डिटेचमेंट, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी दिक्कतों का खतरा भी हो सकता है। शोध आंकड़े बताते हैं कि लगभग 9% स्कूली आयु के बच्चों और 30% किशोरों को मायोपिया हो सकती है।
गंभीर स्थितियों में या फिर इसका उपचार न हो पाने की स्थिति में आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा रहता है।
स्क्रीन टाइम के कारण बढ़ रहा है खतरा- स्क्रीन टाइम मतलब, कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी की स्क्रीन पर बच्चों का अधिक समय बिताना इस समस्या का प्रमुख कारण माना जा रहा है। मायोपिया के बढ़ते खतरे को लेकर ‘शोधकर्ताओं ने बताया कि स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। यदि समय रहते इससे बचाव के उपाय न किए गए तो आने वाले वर्षों में अधिकांश लोग इस समस्या से ग्रसित हो जाएंगे।
स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके साथ ही कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण यह जोखिम बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गया है।
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) से संबंधित समस्या है, जिसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप से देखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। इसमें आंख का आकार बदल जाता है। सामान्यतौर पर आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है।
कैसे करें मायोपिया से बचाव- अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के विशेषज्ञ कहते हैं, जीवनशैली में कुछ बातों का ध्यान रखकर मायोपिया के खतरे को कम किया जा सकता है।
सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा स्क्रीन से ज्यादा समय, बाहर खेलने में बिताता है। कंप्यूटर या अन्य डिजिटल डिवाइस पर स्क्रीन के समय को सीमित करें। बच्चों के आहार को पौष्टिक रखना भी जरूरी है। विटामिन-ए और ई के साथ बीटा कैरोटीन वाली चीजों को आहार का हिस्सा बनाना आंखों की समस्याओं को कम करने और नजर को बेहतर बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
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