अब मोटापा होगा छू मंतर, बस इस मेडिसिन को भारत से मंजूरी मिलनी बाकी

नई दिल्ली। इंसान की ज़िंदगी में मोटापा एक वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है, जिसे कई तरह की क्रोनिक बीमारियों का कारण माना जाता है। एक शोध आंकड़ों से पता चला है कि भारत दुनियाभर में मोटापाग्रस्त शीर्ष तीन देशों में से एक है। यहां की करीब 70 प्रतिशत आबादी अधिक वजन या मोटापा का शिकार है।

इतना ही नहीं हमारे देश की महिलाओं में मोटापे की दर 90 के दशक की तुलना में 1.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में  करीब 9 गुना हो चुका है। इसके अलवा पुरुषों में 0.5% से बढ़कर 2022 में 5.4% हो गई है। यह करीब 5 गुना बढ़कर हो गयी है। डाक्टरों का कहना है कि बढ़ती मोटापे की स्थिति का स्वस्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

हालांकि अब मोटापा को कम करना आसान होने वाला है। भारत ने माउंजरो नमक इंजेक्शन को मंजूरी दे दी है। अध्ययनों में इस दवा को वजन घटाने में कारगर पाया गया है। वैसे तो इस इंजेक्शन को टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए बनाया गया था। हालांकि अध्ययन में पाया गया है कि यह वेट लॉस में भी काफी असरदार हो सकती है।

मोटापा कम करने वाली दवा- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (नाइस) ने एक दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त लोगों को डॉक्टरी सलाह पर टिर्जेपेटाइड इंजेक्शन दिया जा सकता है, इसे यूके में माउंजरो के नाम से बेचा जाता है। नैदानिक परीक्षणों से पता चला है कि टिर्जेपेटाइड की मदद से उपयोगकर्ताओं को 72 सप्ताह में शरीर के वजन का 22.5% तक कम करने में मदद मिली।

नाइस ने अपने दिशानिर्देश में कहा था कि डॉक्टर इंग्लैंड में उन लोगों को यह दवा दे सकेंगे जिनका बॉडी मास इंडेक्स कम से कम 35 है। और वजन से संबंधित कम से कम एक कोमोरबिडिटी की समस्याजैसे हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह या स्लीप एपनिया है।

कम होगा इस दवा से मोटापा- क्लिनिकल जाँच से पता चलता है कि आहार और व्यायाम के साथ टिर्जेपेटाइड अधिक प्रभावी साबित हो सकती है।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि माउंजरो मुख्य रूप से टाइप-2 डायबिटीज का इलाज करने वाली दवाई है। इसमें टिर्जेपेटाइड नामक कंपाउंड होता है जो मस्तिष्क के उस हिस्से को एक्टिव करता है जो भूख को नियंत्रित करने में मदद करती है। माउंजरो को इंसुलिन के स्राव को उत्तेजित करने के प्रभावों के लिए भी जाना जाता है। यह ग्लूकागन हार्मोन के उत्पादन में सुधार करती है, जिससे शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।

इस एक दवा से ब्लड और शुगर दोनों होंगे कंट्रोल– इंजेक्शन की मदद से ब्लड शुगर और वजन दोनों को कंट्रोल रखना आसान हो सकता है।

भारत में मंजूरी का इंतजार-

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एली लिली कंपनी द्वारा निर्मित इस दवा का लाभ जल्द ही भारत में भी लोग उठा सकेंगे। हालांकि इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिलनी अभी बाकी है। यह दवा खतरनाक तरीके से वजन बढ़ने के मामलों को देखते हुए टिर्जेपेटाइड जैसी दवाएं बहुत कारगर साबित हो सकती हैं। कई देशों में इसे मंजूरी दी जा चुकी है।

डॉक्टर की सलाह पर ही लें ये दवा नहीं तो हो सकते हैं साइड इफेक्ट-स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये इंजेक्शन तभी लिए जाने चाहिए जब डॉक्टर्स ने इसकी सलाह दी हो।इसके साइड-इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतते रहना जरूरी है।

डॉक्टर्स भी बरतें सावधानी

सावधानी से किया जायेगा इस बीमारी का इलाज पैनल ने डॉक्टरों को भी सलाह दी कि वे मरीजों का चयन बहुत सावधानी से करें। विशेषज्ञ ने कहा, अग्नाशय की बीमारियों, अंतःस्रावी तंत्र के विकारों, मतली और उल्टी  वाले लोगों को यह दवा नहीं दी जानी चाहिए। मरीजों को पहले आहार और व्यायाम का पालन करने के लिए भी कहा जाना चाहिए। दवा केवल तभी निर्धारित की जानी चाहिए जब अन्य उपायों की मदद से रोगी को आराम न मिल रहा हो।

अस्वीकरण: आंशिक मीडिया में इस लेख को डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को आंशिक मीडिया द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। इस लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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