जानें क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज का त्यौहार,पूजा की विधि, और इन बातों का रखें विशेष ध्यान

नई दिल्ली। आज बुधवार 7 अगस्त को हरियाली तीज का व्रत मनाया जा रहा है। हरियाली तीज का पावन पर्व सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तीज पर भगवान भोलेनाथ और पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस दौरान सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन में अपने पति की खुशहाली के लिए उपवास रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी योग्य वर प्राप्ति के लिए ये व्रत रखती हैं। इस व्रत में हरे रंग के अधिक महत्व होने के कारण इसे हरियाली तीज कहा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं हरे रंग की साड़ी, हरी चूड़ियां आदि पहनती हैं।आइए जानते हैं कि हरियाली तीज व्रत का शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सम्पूर्ण जानकारी इस लेकग में हम आपको बताते हैं.

हरियाली तीज तिथि 

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को प्रारम्भ 6 अगस्त, मंगलवार, सायं 7 बजकर 42 मिनट पर

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त, बुधवार, रात्रि 10 बजे तक

हरियाली तीज पर तीन विशेष शुभ योग- इस साल हरियाली तीज के अवसर पर 3 शुभ योग बनेंगे। हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग का निर्माण हुआ है। रवि योग रात 8 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 8 अगस्त को सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। वहीं परिघ योग प्रात:काल से लेकर सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है और उसके बाद शिव योग लगेगा। शिव योग अगले दिन पारण तक रहेगा।

तीज के दिन हरे रंग विशेष का महत्व-हरा रंग, खुशहाली, समृद्धि, उत्कर्ष, प्रेम, दया, पावनता का प्रतीक है। तीज के दिन सुहागिन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, परिधान अपने पति की खुशहाली,तरक्की, दीर्घायु और सेहतमंद जीवन के लिए पहनती हैं। मान्यता है कि हरा रंग पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाता है। धार्मिक मान्यता है कि ये रंग पहनने से शिव-पार्वती की कृपा बनी रहती है। इसलिए हरियाली तीज पर हरे रंग के कपड़े व हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा है।

हरियाली तीज पूजन सामग्री

हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष माना जाता है।

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री-

पीला वस्त्र

कच्चा सूत

नए वस्त्र

केले के पत्ते

बेलपत्र

भांग

धतूरा

शमी के पत्ते

जनेऊ

जटा नारियल

चावल

दूर्वा घास

घी

कपूर

अबीर-गुलाल

श्रीफल

चंदन

गाय का दूध

गंगाजल

दही

मिश्री

शहद

पंचामृत

सुहाग का सामान-सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजों को जरूर रखें।

हरियाली तीज की पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।

इसके बाद स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें।

सुहागिन महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए।

इस दौरान पूरे दिन व्रत करें।

भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ गणेश जी की पूजा करें।

इस दौरान पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और उसपर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें।

चौकी पर भगवान की मूर्तियां स्थापित करें और भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।

अब उपरोक्त दी गईं पूजा सामग्री को भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें।

फिर तीज की व्रत कथा सुनें और आरती करें।

अंत में सुखी जीवन की कामना करते हुए महादेव और माता पार्वती का आशीर्वाद लें।

तीज पर करें इन मंत्रों का जाप 

घर में सुख-समृद्धि के लिए जाप करें ये मंत्र-

ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः

ऊँ गौरये नमः

ऊँ पार्वत्यै नमः

संतान प्राप्ति के लिए

‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः’

‘मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।

कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि’

पति की लंबी उम्र के लिए मंत्र

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

विवाह में आ रही है समस्या तो करें ये जाप-

अस्य स्वयंवरकलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, अतिजगति छन्दः

देवीगिरिपुत्रीस्वयंवरादेवतात्मनोऽभीष्ट सिद्धये मंत्र जपे विनियोगः।

हरियाली तीज आरती

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।

ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता।।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता।।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।

देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।। जय पार्वती माता।।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।।

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।। जय पार्वती माता।।

शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।

सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता।।

सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता। जय पार्वती माता।।

देवन अरज करत हम चित को लाता।

गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता।।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।। जय पार्वती माता।।

अस्वीकरण: ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।

 

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