नई दिल्ली-देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को RBI के केंद्रीय निदेशक मंडल के सदस्यों की बैठक में भाग लिया। यह मीटिंग केंद्रीय बजट 2024-25 और वित्त विधेयक पारित किए जाने के बाद की गयी। इसमें वित्त मंत्री ने बैंकों में ण के बराबर जमा हो रही रकम पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बैंकों को इनोवेटिव और अट्रेक्टिव योजनाएं लेकर आना चाहिए जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा रकम बैंकों में जमा करें। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए बैंकों को कुछ नया करना होगा। अभी लोगों के पास अधिक रिटर्न पाने के लिए बैंकों से अच्छे कई विकल्प हैं। इनमें शेयर बाजार भी एक है। यही कारण है कि शेयर मार्केट में रिटेल निवेश काफी बढ़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने कहा कि जमा और उधार एक गाड़ी के दो पहिये हैं। जमा रकम की गति काफी धीमी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैंकों को कोर बैंकिंग व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इस समय जमा और उधार के बीच में काफी असंतुलन है। उन्होंने कहा कि यह असंतुलन तभी दूर हो सकता है जब इनोवेटिव और अट्रेक्टिव जमा योजनाएं हम लेकर आएं ताकि बैंकों में रकम ज्यादा से ज्यादा जमा योजनाएं लेकर आएं
‘बैंक ब्याज दरें तय करने के लिए बैंक स्वतंत्र‘-
इस मौके पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंक ब्याज दरें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस दौरान उन्होंने भी बैंकिंग क्षेत्र में जमा-उधार के बीच असंतुलन के बारे में चिंता अपनी चिंता जाहिर की है । उन्होंने ये भी कहा कि बैंक बढ़ती लोन की मांगों को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म, नॉन-रेटेल डिपॉजिट और अन्य वित्तीय साधनों पर तेजी से निर्भर हो रहे हैं। शक्तिकांत दास ने चेतावनी दी कि इस निर्भरता से बैंकिंग सिस्टम में संभावित तरलता की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि बैंक इनोवेटिव तरीके अपनाएं। साथ ही बैंक अपने नेटवर्क का लाभ उठाकर घरेलू वित्तीय बचत को जुटाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
रेपो रेट रखा था बरकरार-
बता दें कि कुछ दिन पहले ही रिजर्व बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। यह लगातार नौवां मौका था जब इसे यथावत रखा गया। एमपीसी की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा था कि रेपो रेट को एक बार फिर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है। दास ने कहा था कि समिति ने ग्रोथ को सुनिश्चित करने के लिए महंगाई पर फोकस करने और कीमतों में स्थिरता को सपोर्ट करने का फैसला किया है। मुख्य महंगाई के अप्रैल-मई में स्थिर रहने के बाद जून में इसमें तेजी आई। तीसरी तिमाही में महंगाई में कमी आने की उम्मीद है।