रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, भूल कर भी ना करें ये गलती, जाने शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन के त्यौहार का विशेष महत्व है धमिक परम्परा के अनुसार बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और मिठाई खिलाती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। इस त्यौहार को भाई को राखी बांधने से पहले बहनें जान लें सही मुहूर्त और नियम।

आज बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेमऔर बंधन का प्रतीक है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है तो शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई को राखी बांधें।

आज देशभर में रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हर सावन माह की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन बहनें नए कपड़े पहनकर अपने भाई को राखी बांधती हैं और तिलक कर आरती भी उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हुए उसकी हमेशा रक्षा करने का वचन देते हैं। भाई-बहनों के इस पर्व पर हर साल भद्रा का साया रहता है। इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा लगा हुआ है। तो बहनें आज अपने भाई को शुभ मुहूर्त में राखी बांधें साथ ही इन विशेष नियमों का भी विशेष रूप से ध्यान रखें। आइए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी जरूर बातों के बारे में।

 

राखी बाँधने का सही समय-

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 अगस्त 2024 को रात 11 बजकर 55 मिनट पर है.

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त- 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से रात 9 बजकर 08 मिनट तक है

रक्षा बंधन 2024 में भद्रा का ये है समय-

भद्रा आरंभ– 19 अगस्त को सुबह 05 बजकर 53 मिनट से

भद्रा समाप्त- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक है।

रक्षाबंधन के दिन नियमों का रखें विशेष ध्यान-

रक्षाबंधन के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।

स्नान के बाद सूर्य देव को जल देते समय अपने कुल देवता का स्मरण करें और उनका आशीर्वाद लें।

राखी की थाली में तांबे या पीतल की थाली में राखी, दीया, अक्षत, कलश, सिन्दूर, मिठाई और रोली रखें।

राखी बांधते समय इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर हो

सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं और फिर भाई की कलाई पर राखी बांधें।

बहनें भाई के दाहिने हाथ पर ही राखी बांधें। इसके बाद बहन और भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाएं।

राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करें-

येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वाम प्रति बच्चामि रक्षे, मा चल मा चल

 

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