नई दिल्ली। मनुष्य के कर्मों के अनुसार उसको मुक्ति मिलती है धरती पर जो भी पुण्य पाप किये हैं उसका फल मरने के बाद भी भुगतना पड़ता है। गरुड़ पुराण एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसमें व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके बारे में वर्णन मिलता हैं। इस गरुड़ पुराण में व्यक्ति की मृत्यु के बाद यह पता लगाया जा सकता है कि उसकी आत्मा को मुक्ति मिली है या अभी भी भटक रही है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की किसी बीमारी या किसी अन्य घटना या दुर्घटना के कारण मौत हो जाती है, तब उसकी आत्मा इधर उधर भटकती रहती है। इसलिए उनकी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए पूजा पाठ किया जाता है। मान्यता ये भी है कि इस पूजा के बाद भटकती आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है।
गरुड़ पुराण में भटकी हुईं आत्मा की शांति के लिए किस तरह पूजा की जाती है-
भटकती आत्मा की शांति के लिए नारायण बलि की पूजा करें
विशेष धार्मिक ग्रंथ गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी घटना या बीमारी के कारण होती है तो उसकी आत्मा भटकने लगती है। इससे व्यक्ति की आत्मा बहुत दुखी रहती है। ऐसी स्थिति में आत्मा को आकस्मिक मृत्यु से मुक्ति दिलाने के लिए नारायण बलि की पूजा की जाती है। इस पूजा बेहद करना लाभकारी माना जाता है।
गरुड़ पुराण में ये भी कहा गया है कि जब आत्मा को शांति नहीं मिलती तो वह सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती है। आत्मा को आत्मा की दुनिया से मुक्त करने के लिए यहां नारायण बलि की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को करने से आत्मा को कर्मकांडों से मुक्त हो जाती है।
बलि पूजा विधि-
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि आत्मा की शांति चाहिए तो किसी तीर्थ स्थान पर नारायण बलि की पूजा करनी चाहिए।
इस पूजा में तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम पर एक-एक पिंडदान करते हैं।
यह पूजा वेदों के पांच उच्च वेद पाठी विद्वानों द्वारा की जाती है।
यह पूजा केवल उस मृतक के परिवार के सदस्य ही कर सकते हैं जिनकी मृत्यु अकाल रूप में हुई हो।
इस पूजा को करने से व्यक्ति पितृ दोष से भी मुक्त हो जाता है।
अस्वीकरण- ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आंशिक मीडिया उत्तरदायी नहीं है।