सलोनी तिवारी : ऋषि वाणी : 13 अक्टूबर रविवार को इस्कॉन कानपुर द्वारा अपना दसवां स्थापना दिवस ब्रह्मोत्सवम भव्यता के साथ आयोजित किया गया। यह अलौकिक आध्यात्मिक महोत्सव मंत्र स्थापना के 10 वर्षों की गणना नहीं बल्कि यह उसे यात्रा का उत्सव है जिसके द्वारा इन 10 वर्षों में अनेकों मनुष्यों को पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण से जोड़ा गया। इस्कॉन की स्थापना 1966 में भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद जी के द्वारा की गई थी।
मात्र 10 वर्षों में उन्होंने संपूर्ण विश्व में एक आध्यात्मिक क्रांति की शुरुआत की जिसके द्वारा विश्व के कोने-कोने तक श्रीमद् भागवत गीता का प्रमाणिक ज्ञान पहुंच सका। श्रील प्रभुपाद चाहते थे कि आध्यात्मिक विरासत का प्रचार प्रसार होने हेतु कानपुर में इस्कॉन का एक भव्य मंदिर हो। नाथ ऑप्टिकल्स के श्रीमान रामनाथ भार्गव जी ने 1970 के दशक में इस्कॉन मंदिर निर्माण हेतु श्रील प्रभुपाद को यह भूमि प्रदान की थी ।आगे चलकर आई.ए.एस श्रीमती अनीता भटनागर की माता श्री श्रीमती मीना भटनागर जी ने सन 2005 में पुनः यह विशाल क्षेत्र श्री श्री राधा माधव की सेवा हेतु प्रदान किया। श्रीमती मीना भटनागर जी के आग्रह पर 2005 में इस्कॉन वृंदावन से आए हुए भक्तों के द्वारा मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। सन 2009 में वसंत पंचमी के पवित्र उपलक्ष पर श्री श्री राधा माधव जी के अत्यंत सुंदर विग्रहों को प्राण प्रतिष्ठित किया गया। 5 वर्ष पश्चात भक्तों के अत्यधिक प्रयास एवं श्री चैतन्य महाप्रभु की कृपा से 2014 दशहरा के उत्सव पर इस्कॉन कानपुर का भाव भव्य उद्घाटन किया गया। इस इस्कॉन कानपुर के तत्कालीन जीबीसी परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज, जोनल सेक्रेटरी श्रीमान देवकीनंदन प्रभु जी ,मंदिर अध्यक्ष श्रीमान प्रेम हरिनाम प्रभु जी एवं इस्कॉन के कई वरिष्ठ सन्यासियों की पवित्र उपस्थिति में मंदिर का भव्य उद्घाटन किया गया था। विशेष अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्रीमान राम नाइक जी के द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया गया। आज मैनावती मार्ग में स्थित इस्कॉन कानपुर 15 एकड़ के क्षेत्र में अपने भव्यतम रूप में उपस्थित है।
जयपुर में निर्मित श्री श्री राधा माधव ललिता विशाखा सखी जी, श्री श्री जानकी जानकी वल्लभ लक्ष्मण हनुमान एवं श्री श्री निताई गौर सुंदर के अत्यंत सुंदर विग्रहों की शास्त्रीय विधिवत उपासना यहां की जाती है। इस्कॉन कानपुर का विशाल मंदिर विशिष्ट मार्बल के द्वारा निर्मित है सुंदर नक्काशी संयुक्त यह मंदिर उत्तर भारत की सनातन शैली में बनाया गया है। प्रातः काल सूर्योदय के साथ श्री भगवान के गर्भ ग्रह में सूर्य की किरण सीधे प्रविष्टि होती है।
इन 10 वर्षों में इस्कॉन कानपुर भारत की प्रामाणिक वैदिक सभ्यता के आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु अनगिनत महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई गई।इस्कॉन के द्वारा श्रीमद् भागवत गीता एवं श्रीमद भगवतम पर आधारित प्रचार की विभिन्न गतिविधियों ने अनेकों लोगों को जीवन में एक नई रहा एक सकारात्मक ऊर्जा और अपनी वैधानिक स्थिति का ज्ञान प्रदर्शित किया। इस्कॉन कानपुर के द्वारा फैमिली ऑफ़ लॉर्ड कृष्ण के द्वारा कानपुर के लगभग 7000 से भी अधिक परिवारों को कृष्णभावनामृत से जोड़ा गया। साप्ताहिक कक्षाओं के द्वारा सफलता को प्राप्त करने का मार्ग, जीवन की वास्तविक प्रसन्नता, मैं कौन हूं?, डिस्कवर योर सेल्फ भगवतगीता कक्षाओं से अन्य को लोग लाभान्वित हुए हैं। इस्कॉन कानपुर का चिल्ड्रन’स विंग ‘गोपाल’ कानपुर के 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों में उन्नत संस्कार,आध्यात्मिक शिक्षाएं एवं महान चरित्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिसमें प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला अनुशीलन समर कैंप प्रमुख है। इस्कॉन कानपुर यूथ फोरम की (एंपावरिंग एंबिशियस एंड स्ट्रेस्ड यूथ) पहल के द्वारा एक उच्च लक्ष्य, उचित मार्गदर्शन आध्यात्मिक व सकारात्मक निर्देशन एवं जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए कृष्णभावनामृत की महत्वपूर्ण शिक्षाओं से युवाओं का सशक्तिकरण किया जा रहा है । इसी के साथ विभिन्न विद्यालयों एवं महाविद्यालय में वैल्यूज ऑफ़ लाइफ और भागवत गीता कॉन्टेस्ट के द्वारा छात्र-छात्राओं में भारत के आध्यात्मिक संस्कृति को सशक्तिकरण प्रदान किया जा रहा है। इस्कॉन फूड फॉर लाइफ के द्वारा निशुल्क कृष्ण प्रसाद संपूर्ण कानपुर में वितरित करता है। भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय गौ माता की रक्षा हेतु इस्कॉन सदैव से ही तत्पर रहा है। इसी उद्देश्य के साथ इस्कॉन कानपुर में अत्यंत सुंदर गौशाला है जिसमें गौ माता की प्रेम पूर्वक सेवा की जाती है। इस्कॉन कानपुर द्वारा प्रतिवर्ष गीता जयंती के उपलक्ष्य पर संपूर्ण कानपुर क्षेत्र में विस्तृत रूप से श्रीमद् भागवत गीता श्रीमद भगवतम इत्यादि ग्रंथों का वितरण किया जाता है जिसके द्वारा जीव मात्र तक शाश्वत आध्यात्मिक ज्ञान पहुंच पाए,
10वीं वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य पर सर्वप्रथम सभी भक्तों ने श्री भगवान की भव्य मंगल आरती में उत्साह पूर्वक भाग लिया।तत्पश्चात दर्शन आरती में श्री श्री राधा माधव, श्री श्री गौर निताई एवं श्री श्री जानकी जानकी वल्लभ लक्ष्मण हनुमान जी, विजयदशमी के पवित्र दिवस पर अपने श्रृंगार स्वरूप में सर्वाकर्षक लग रहे थे। रत्न एवं पुष्प जड़ित पोशाक से अलंकृत श्री भगवान सभी के मन को मोह लिया। तत्पश्चात 8:00 बजे से श्रीमान चैतन्य चरण प्रभु जी के द्वारा श्रीमदभागवतम से मन की जटिल तत्वों पर उत्तम चर्चा की गई । प्रातः कल से ही सभी भक्त भगवान के इस महान उत्सव की विभिन्न सेवाओं में में संलग्न थे।
11:00 बजे 1008 चांदी के कलशों से वर्ष में एक बार होने वाला महा अभिषेक प्रारंभ हुआ जिसमें तीनों विग्रह का एक साथ पंचगव्य इत्यादि द्रव्यों से सुंदर स्नान अभिषेक संपन्न हुआ। अभिषेक के दौरान सुमधुर कीर्तन एवं वैष्णव गीतों से भगवान की स्तुति की गई। संपूर्ण मंदिर प्रांगण आकर्षक एवं भव्य रंगोलियों लाइटों एवं पुष्पों से सजाया गया। संध्याकाल 6:00 बजे से कानपुर में प्रथम बार आयोजित हो रही श्री श्री राधा माधव जी का भव्यतम नौका विहार उत्सव प्रारंभ हुआ। कृष्ण कालिया कुंड कुंड में श्री भगवान के लिए तैयार की गई विशाल नौका को भव्य रूप से सजाया गया था। मृदंग, करताल व बांसुरी की ध्वनि के साथ श्री भगवान का पालकी महोत्सव मंदिर गर्भ गृह से प्रारंभ होकर नौका विहार स्थल तक संपन्न हुआ। तत्पश्चात श्री श्री राधा कृष्ण को नौका में विराजमान करके विहार प्रारंभ किया गया। मुंबई से आए जय सच्चिदानंद प्रभु जी ने राधा कृष्ण के सुंदर वैष्णव गीतों से सभी को कृष्ण भक्ति में मंत्रमुग्ध कर दिया।कृष्ण लीला की विशेष झांकियां,पुष्प होली एवं महा आरती के साथ मंदिर प्रांगण वृंदावन में यमुना तट के समान प्रतीत हो रहा था। हरे कृष्ण महामंत्र का आकर्षण एवं वाद्य यंत्रों के समागम ने मंदिर के कोने-कोने में भक्ति का सृजन कर दिया। इस विशेष उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में तत्कालीन आईएस अधिकारी आदरणीया डॉ अनीता भटनागर जैन उपस्थित रहीं, परम आदरणीय अनीता भटनागर जैन जी की माता जी के द्वारा ही इस्कॉन कानपुर मंदिर की प्रांगण को मंदिर को प्रदान किया गया था।