गोवर्धन पूजा का महत्त्व !

सलोनी तिवारी : ऋषि वाणी : वृन्दावन – गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जिसे दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के ऐतिहासिक प्रसंग को याद करना है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान और अन्न भगवान को अर्पित किए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा का महत्त्व:

  1. धार्मिक मान्यता: गोवर्धन पूजा के दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और गोवर्धन पर्वत को प्रतीक रूप में सजाते हैं। यह पर्व भक्ति और विश्वास का प्रतीक है, जिसमें सभी लोग अपने घरों के बाहर गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
  2. प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण: गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताने का संदेश देती है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा का संदेश देकर हमें पहाड़ों, पेड़ों और नदियों के संरक्षण का महत्व समझाया था।
  3. समाज में सामूहिकता और सामंजस्य: गोवर्धन पूजा के अवसर पर लोग सामूहिक रूप से अन्नकूट का आयोजन करते हैं, जहाँ विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और सामूहिक रूप से प्रसाद वितरण किया जाता है। यह समाज में एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।

गोवर्धन पूजा की विधि:

  • प्रातःकाल में स्नान आदि करके घर को साफ-सुथरा करें।
  • घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं।
  • उसमें गोधूलि वेला में फूल, दीपक और विभिन्न पकवान अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा करें और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें।

गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण की भक्ति के साथ ही प्रकृति और समाज के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव होता है, जिससे यह पर्व हमारे जीवन में संतुलन और स्थिरता का संदेश देता है।

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, अंशिका मीडिया किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है) 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *