Utpanna Ekadashi 2024- कब है ?

सलोनी तिवारी: ऋषीवाणी : उत्त्पन्ना एकादशी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक विशेष पवित्र दिन है, जो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से व्रत, पूजा और उपवासी रहने के लिए समर्पित होता है। इस बार पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 26 नवंबर को देर रात 01 बजकर 01 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 नवंबर को देर रात 03 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाएगा।

उत्त्पन्ना एकादशी का महत्व:

  1. पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति: इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो दीवाली के बाद के दिनों में उपवासी रहते हैं, और विशेष रूप से इस दिन व्रत करके भगवान की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
  2. मांगलिक कार्यों के लिए शुभ: उत्त्पन्ना एकादशी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में समृद्धि, सुख, शांति और मानसिक शुद्धता आती है। यह दिन उन लोगों के लिए खास है जो अपने जीवन में कोई बड़ा धार्मिक या मांगलिक कार्य करना चाहते हैं।
  3. स्नान और व्रत: इस दिन विशेष रूप से तीर्थ स्नान करने की परंपरा भी है। श्रद्धालु इस दिन नदियों में स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, और विशेष रूप से उपवासी रहते हुए अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं।
  4. पारिवारिक और समाजिक जीवन में समरसता: इस दिन को विशेष रूप से परिवार और समाज में एकता, प्रेम और समरसता बढ़ाने के लिए भी मनाया जाता है।

उत्त्पन्ना एकादशी के व्रत का फल: मान्यता है कि जो व्यक्ति उत्त्पन्ना एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करता है, उसे न केवल इस जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है, बल्कि उसके पापों का नाश भी होता है। इसके अतिरिक्त, अगले जन्म में मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

पूजा विधि:

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें, विशेष रूप से उनका “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र से ध्यान करें।
  • व्रति को उपवासी रहकर दिनभर भगवान के नाम का जप और ध्यान करना चाहिए।
  • रात्रि को दीप जलाकर भगवान की आराधना करें।

उत्त्पन्ना एकादशी का धार्मिक संदर्भ: यह एकादशी खासतौर पर भगवान विष्णु से संबंधित है और इसे उनके अवतारों में से एक के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने देवताओं की सहायता करने के लिए पापों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था।

अस्वीकरण- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। आंशिक मीडिआ किसी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।

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