नवदीप चतुर्वेदी: कानपुर शहर में बढ़ती ई-रिक्शा की संख्या ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह बनती जा रही है। न केवल ई-रिक्शा चालकों द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि इनमें से कई रिक्शा नाबालिगों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो शहर के लोगों के लिए खतरे की घंटी बनते जा रहे हैं।
नाबालिग चालक बढ़ा रहे हैं परेशानी
शहर के कई इलाकों में देखा गया है कि ई-रिक्शा चलाने वाले कई चालक 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। ये नाबालिग चालक बिना किसी ड्राइविंग लाइसेंस और ट्रैफिक नियमों की समझ के सड़कों पर उतर रहे हैं। इनकी अनुभवहीनता और लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है।
प्रमुख समस्याएं
- अवैध पार्किंग: ई-रिक्शा चालक सड़क किनारे और व्यस्त इलाकों में अवैध तरीके से रिक्शा पार्क कर देते हैं, जिससे जाम की स्थिति पैदा होती है।
- यातायात नियमों का उल्लंघन: ट्रैफिक सिग्नल तोड़ना, उल्टी दिशा में गाड़ी चलाना, और तेज गति से रिक्शा चलाना आम बात हो गई है।
- सुरक्षा का अभाव: नाबालिग चालकों के पास न तो यातायात नियमों की जानकारी होती है और न ही सड़क पर सतर्कता। इससे पैदल चलने वालों और अन्य वाहन चालकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।
कानपुर के व्यस्त इलाके प्रभावित
ई-रिक्शा के कारण सबसे ज्यादा असर कानपुर के व्यस्त इलाकों, जैसे कि काकादेव,नई सड़क, बिरहाना रोड, परेड, और रेलवे स्टेशन के आस-पास के इलाकों में देखने को मिल रहा है। यहां हर रोज़ ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की खबरें सामने आती हैं।
क्या हो सकते हैं समाधान?
- नाबालिगों पर रोक: नाबालिग चालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- पंजीकरण और लाइसेंस: हर ई-रिक्शा का उचित पंजीकरण और चालकों का लाइसेंस अनिवार्य किया जाए।
- नियमित जांच: ट्रैफिक पुलिस द्वारा नियमित जांच अभियान चलाया जाए।
- जनजागरूकता अभियान: ई-रिक्शा चालकों और मालिकों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक किया जाए।
कानपुर में ई-रिक्शा की यह अनियंत्रित स्थिति न केवल यातायात के लिए बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।