सलोनी तिवारी:13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में शनिवार को वैष्णव परंपरा के तीन अनी अखाड़ों – श्री पंच निर्मोही अनी, श्री पंच निर्वाणी अनी, और श्री पंच दिगंबर अनी – ने एक साथ विधिवत रूप से धर्मध्वजा की स्थापना की। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आयोजित इस समारोह में चरण पादुका पूजन भी किया गया।
अखाड़ों के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने बताया कि इस अनुष्ठान के बाद अखाड़ों में पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, भंडारे और ईष्ट देव की आरती व प्रसाद वितरण की शुरुआत हो गई है। श्रीमहंत रामजी दास ने भी आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह परंपरा वैष्णव अखाड़ों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है।
इस आयोजन के साथ महाकुंभ मेले के आधिकारिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है, जिससे श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है।
निर्मोही अखाड़ा बैठक राघवप्रयाग से आये श्री दीनदयाल जी (अधिकारी जी) ने बताया कि तीनों अनी अखाड़ों के ईष्ट देव हनुमान जी हैं और अब धर्मध्वजा की स्थापना के साथ संतों का मेले में रुकने का सिलसिला शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ईष्टदेव भी छावनी में विराजमान हो गए हैं। तीनों अखाड़ों के ईष्टदेव एक ही हैं, लेकिन उनकी धर्मध्वजा अलग-अलग रंग की है, जिसमें सफेद, लाल, और पांच रंग के ध्वज शामिल हैं। धर्मध्वजा के नीचे ईष्टदेव के ऊपर पताका लहराती रहेगी, और सुबह-शाम इस स्थान पर प्रभु श्रीराम की चरण पादुका भी रखी गई हैं, जिनका दर्शन और पूजन किया जाएगा।अखाड़ों से जुड़े साधु संत शिविर में आएंगे और वहां धार्मिक अनुष्ठान करेंगे, साथ ही संतों की तरफ से देश और विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाएगी।
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