भारत के प्राचीन 16 संस्कारों में स्वर्ण संस्कार भी एक प्रमुख संस्कार है।ये बच्चों के लिए आयुर्वेद का वरदान है। ये बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सबसे अच्छा योगदान देता है। जो माता-पिता इस संस्कार का पालन पूरे नियम के अनुसार करते है तो उनके बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बेहतर होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक माह पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) आता है और उसी नक्षत्र के दिन बच्चे को आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों से निर्मित रसायन पान कराया जाता है। स्वर्ण प्राशन के कई लाभ है जैसे कि इसके सेवन से शारीरिक शाक्ति में वृद्धि होती है,मानसिक एवं शारीरिक विकास होता है,पाचन तंत्र मजबूत होता है,महामारी एवं मौसमी बीमारियों से बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करता है ।
स्वर्ण प्राशन कौन-कौन से बच्चे ले सकते हैं?
जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चे स्वर्ण प्राशन का रस पान कर सकते हैं। स्वर्ण प्राशन से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए आप योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं एवं उनके द्वारा स्वर्णप्राशन संस्कार करा सकते हैं।
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