सलोनी तिवारी : बांदा। मकर संक्रांति के दिन बांदा के भूरागढ़ किले में आयोजित होने वाला ‘नट बली मेला’ प्रेमियों के लिए एक खास धार्मिक और ऐतिहासिक आयोजन बन चुका है। सदर विधायक माननीय प्रकाश द्विवेदी जी ने यहाँ दंगल का शुभारंभ किया।
किवदंती के अनुसार, भूरागढ़ किले में एक किलेदार की पुत्री थी, जो एक नट से प्रेम करती थी। किलेदार राजा ने इस प्रेम को नापसंद किया और नट से अपनी बेटी को अलग करने के लिए एक कठिन शर्त रखी। उसने कहा कि अगर नट कच्चे सूत के धागे पर चलकर बांम्वेश्वर पहाड़ से नदी पार करके भूरागढ़ किले तक पहुंचता है, तो वह उसकी बेटी से शादी करने को तैयार हो जाएगा।
लेकिन जब नट सूत पर चलकर किले तक पहुंचने वाला था, किलेदार ने धागा काट दिया, जिससे नट पत्थरों पर गिरकर मर गया। यह देख राजकुमारी ने भी किले से कूदकर अपनी जान दे दी। किले में आज भी उनके बलिदान की याद में दो मंदिर बने हुए हैं, और मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन प्रेमी जोड़े यहां आकर शादी की मन्नत मांगते हैं, जो पूरी होती है।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह मेला अंग्रेजों के खिलाफ नटों के बलिदान की याद में भी आयोजित किया जाता है, हर साल इस दिन यहां प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो अपने प्रेम की सफलता की कामना करते हैं।
Information By: Devesh Tiwari (Banda)
(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, अंशिका मीडिया किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)