आशा कार्यकर्ताओं के सशक्तिकरण पर एनएचआरसी की बैठक !

सलोनी तिवारी: नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने अपने परिसर में ‘मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को सशक्त बनाना: सम्मान के साथ कार्याधिकार को सुरक्षित करना’ विषय पर एक कोर ग्रुप की बैठक आयोजित की। इस बैठक की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन ने की। इस अवसर पर सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी, महासचिव श्री भरत लाल, वरिष्ठ अधिकारी, विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता उपस्थित रहीं।

आशा कार्यकर्ताओं के योगदान को मिली सराहना

न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन ने अपने संबोधन में कहा कि आशा कार्यकर्ताओं ने पिछले दो दशकों में भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने नवजात और शिशु मृत्यु दर को कम करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है और यह दिखाया है कि औपचारिक शिक्षा के बिना भी प्रशिक्षण के माध्यम से व्यक्ति कुशल श्रमिक बन सकते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आशा कार्यकर्ताओं को उनके योगदान के अनुपात में पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है, जिससे उनका जीवन कठिन बना हुआ है।

उन्होंने राज्य और केंद्र सरकारों से मिलकर आशा कार्यकर्ताओं के हित में एक सशक्त नीति बनाने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करना राज्य का विषय है, जबकि जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन समवर्ती सूची में आते हैं, इसलिए सरकारों को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवाओं में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका

एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं और बच्चों के संकट के समय सबसे पहले पहुंचती हैं। इसलिए, उन्हें बेहतर प्रोत्साहन, उचित पारिश्रमिक और सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें।

महासचिव श्री भरत लाल ने बैठक के दौरान कहा कि सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन आशा कार्यकर्ताओं को कम मानदेय, अत्यधिक कार्यभार और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कोविड-19 के दौरान उनकी अनुकरणीय सेवा की भी सराहना की, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी स्वीकार किया।

बैठक में प्रस्तुत किए गए महत्वपूर्ण सुझाव

बैठक के दौरान विशेषज्ञों और आशा कार्यकर्ताओं ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिनमें शामिल हैं:

  1. आशा कार्यकर्ताओं को निश्चित मासिक पारिश्रमिक, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन और सवेतन अवकाश के साथ औपचारिक कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
  2. न्यूनतम मजदूरी नियमों के अनुसार सभी राज्यों में मानदेय को मानकीकृत किया जाए।
  3. प्रोत्साहन आधारित भुगतान संरचना में सुधार कर इसे एक निश्चित वेतन और प्रदर्शन आधारित लाभ के रूप में लागू किया जाए।
  4. आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ और दुर्घटना कवरेज प्रदान किया जाए।
  5. उनके क्षेत्र के दौरे के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), परिवहन भत्ता और सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित किया जाए।
  6. उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ सख्त नीतियां लागू की जाएं।
  7. बाल देखभाल और बुजुर्गों की देखभाल के लिए भवन और निर्माण श्रमिक कल्याण निधि का उपयोग किया जाए।
  8. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर राज्य वित्त पोषित क्रच (Creche) स्थापित किए जाएं ताकि आशा कार्यकर्ता अपने कार्य के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी निभा सकें।
  9. नर्सिंग, दाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन में आशा कार्यकर्ताओं के लिए करियर के अवसर सुनिश्चित किए जाएं।
  10. मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के सहयोग से ब्रिज पाठ्यक्रमों की शुरुआत की जाए, जिससे आशा कार्यकर्ताओं को औपचारिक स्वास्थ्य सेवाओं में प्रमाणित किया जा सके।
  11. निजी क्षेत्र को बाल देखभाल और बुजुर्ग देखभाल सेवाओं में निवेश के लिए कर लाभ की पेशकश की जाए।
  12. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से समुदाय-आधारित देखभाल सेवाओं का विस्तार किया जाए।

आशा कार्यकर्ताओं के कल्याण हेतु एनएचआरसी का संकल्प

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इन सुझावों पर विस्तृत चर्चा करने और आशा कार्यकर्ताओं के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया। इस बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, जेपीगो इंडिया, यूएन विमेन इंडिया, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, विभिन्न एनजीओ और अन्य संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

एनएचआरसी ने आश्वासन दिया कि इन सुझावों को सरकार तक पहुंचाने और उनके कार्यान्वयन के लिए प्रयास किए जाएंगे, ताकि आशा कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान, अधिकार और सुविधाएं मिल सकें।

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