सलोनी तिवारी: हर साल 10 अप्रैल को पूरी दुनिया में “विश्व होम्योपैथी दिवस” (World Homeopathy Day) मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल हैनिमैन (Dr. Samuel Hahnemann) की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। उनका जन्म 10 अप्रैल 1755 को हुआ था, और उन्होंने होम्योपैथी को एक विज्ञान, कला और दया की चिकित्सा पद्धति के रूप में दुनिया को दिया।
🩺 होम्योपैथी क्या है?
होम्योपैथी एक प्राकृतिक और वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है, जो “समानता के सिद्धांत” (Like cures like) पर आधारित है। इसका मतलब है कि जो पदार्थ किसी स्वस्थ व्यक्ति में किसी बीमारी जैसे लक्षण पैदा करता है, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में बीमार व्यक्ति को देने पर उसे ठीक कर सकता है।
🌿 होम्योपैथी की विशेषताएं:
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यह चिकित्सा शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
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इसमें साइड इफेक्ट्स नहीं होते, क्योंकि दवाएं प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती हैं।
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इसका उपयोग बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं में भी सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।
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यह लंबे समय तक चलने वाले रोगों जैसे एलर्जी, माइग्रेन, त्वचा रोग, मानसिक तनाव आदि में बहुत असरदार होती है।
🧑⚕️ भारत में होम्योपैथी की स्थिति:
भारत होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व में सबसे आगे है। AYUSH मंत्रालय के तहत होम्योपैथी को बढ़ावा दिया जा रहा है। देशभर में होम्योपैथिक कॉलेज, अस्पताल और डॉक्टर्स लोगों को सस्ती और असरदार चिकित्सा उपलब्ध करा रहे हैं।
🙌 होम्योपैथी दिवस का उद्देश्य:
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लोगों को होम्योपैथी के प्रति जागरूक करना।
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इसके वैज्ञानिक आधार को समझाना।
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स्वास्थ्य सेवाओं में इसकी उपयोगिता को उजागर करना।
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चिकित्सा क्षेत्र में इसके योगदान को सम्मान देना।